छठ पूजा में जरूर करें इन नियमों का पालन

छठ पूजा का व्रत रखते समय बरती जानी चाहिए ये सावधानियां, प्रसाद से लेकर भोजन तक का रखें ध्यान


छठ पूजा कोई आम पर्व नहीं बल्कि एक महापर्व है जो भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में मनाया जाता है। श्रद्धालु इस अवसर पर सूर्य देव और छठी मैया की उपासना करते हैं। जिससे वे अपनी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। जहां व्रती कठिन व्रत तो रखते ही हैं साथ ही पवित्रता का पालन भी करते हैं। इस दौरान वातावरण में स्वच्छता, शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। 


सात्विकता और पवित्रता का पर्व है छठ पूजा 


छठ पूजा एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है जिसमें श्रद्धालुओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि वे छठी मैया को प्रसन्न कर सकें। इस पर्व के दौरान स्वच्छता, सात्विकता और पवित्रता का विशेष महत्व होता है। यदि इन बातों का पालन किया जाए, तो छठ पूजा का महापर्व पूर्णतः सफल और मंगलमय हो सकता है। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन में शुद्धता, संयम और आभार की भावना को भी प्रकट करता है। इस प्रकार, छठ पूजा परिवारों के बीच एकता और प्रेम को बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करती है, जो कि आज के समय में बेहद आवश्यक है।


जानिए छठ पूजा 2024 का मुहूर्त 


छठ पूजा का पहला दिन: नहाय खाय- 05 नवंबर 2024, दिन- मंगलवार। 

छठ पूजा का दूसरा दिन: खरना- 06 नवंबर 2024, दिन- बुधवार। 

छठ पूजा का तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य- 07 नवंबर, दिन- गुरुवार। 

छठ पूजा का चौथा दिन: उषा अर्घ्य- 08 नवंबर, दिन- शुक्रवार। 


बता दें कि छठ पूजा का आयोजन चार दिनों तक चलता है।  जिसमें पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे एवं चौथे दिन सूर्य को अर्घ्य देने की विधियां होती है। इस दौरान श्रद्धालु 36 घंटे का उपवास करते हैं। जिसमें वे केवल जल का सेवन करते हैं। यह व्रत शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का प्रतीक है। 


छठ पूजा के लिए ये सावधानियां बरतें


स्वच्छता और पवित्रता का बनाए रखें: छठ पूजा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। घर और घाट की सफाई की जाती है ताकि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। व्रती अपने घर को पूरी तरह से पवित्र करते हैं और पूरे वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने का प्रयास करते हैं।


सात्विक आहार लेना जरूरी: इस पर्व के दौरान श्रद्धालु सात्विक भोजन का ही सेवन करते हैं। दाल, लौकी की सब्जी और चावल जैसे सुपाच्य और हल्के भोजन को ग्रहण किया जाता है। मांस और शराब का सेवन पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। कई घरों में तो परिवार के सभी लोग एक सप्ताह पहले से प्याज और लहसुन से भी दूर रहते हैं।


प्रसाद का विशेष तरीके से निर्माण: छठ पूजा के दौरान प्रसाद बनाते समय भी सफाई का ध्यान रखा जाता है। व्रती प्रसाद तैयार करती हैं और इसे बनाते समय अपनी अंगूठी और अन्य आभूषण तक उंगलियों से हटा देते हैं। जिससे ये सुनिश्चित हो कि प्रसाद पवित्र तरीके से तैयार हुआ है। प्रसाद में ठेकुआ, पिरुकिया, अनरसा, भुसवा  विभिन्न तरह के फल और अन्य मिठाइयां इत्यादि शामिल होती हैं।


नए परिधान पहन होती है पूजा: इस पावन पर्व के दौरान व्रत और उनके परिजन नए- नए वस्त्र पहनते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि नए कपड़े पहनने से एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह पूजा की गंभीरता को भी दिखाता है। इस परंपरा में व्यक्तिगत स्वच्छता और परिवेश की शुद्धता के महत्व को भी दर्शाया गया है।


सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य: छठ के तीसरे दिन संध्या और चौथे दिन भोर में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण होती है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। अर्घ्य देने के समय श्रद्धालु ध्यान केंद्रित करते हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान व्रती पानी में खड़े होते हैं। इसलिए छठ के समय लोग नदी या तालाब के किनारे भारी संख्या में एकत्र होते हैं जो सामूहिक भावना का प्रतीक है।


यदि इन बातों का पालन किया जाए, तो छठ पूजा का महापर्व पूर्णतः सफल और मंगलमय हो सकता है। इस प्रकार, छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में शुद्धता, संयम और आभार की भावना को भी प्रकट करता है। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और इसका समापन सप्तमी तिथि पर होता है। इस दौरान वातावरण में शुद्धता, स्वच्छता एवं पवित्रता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।


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