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नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि जहां शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाती है, वहां मां दुर्गा की कृपा हमेशा बनी रहती है और संकटों के बादल कभी नहीं मंडराते, ऐसी मान्यता है। जानिए चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना और पूजा के लाभों के बारे में।
सनातन शास्त्रों में कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। इससे साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। वहीं अमावस्या तिथि और रात्रि के समय कलश स्थापना न करें। अगर इसकी अनदेखी की जाए तो देवी मां दुर्गा नाराज हो जाती हैं। मां के नाराज होने से साधक को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए किसी योग्य ज्योतिषी या पंडित से कलश स्थापना का सही समय जरूर जान लें। इसके बाद कलश स्थापित करें और देवी दुर्गा की पूजा करें।
इस बार चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की है। 30 मार्च को नवरात्रि का पहला दिन है, जबकि नवरात्रि की नवमी 6 अप्रैल को है। उसके बाद चैत्र नवरात्रि 7 अप्रैल को समाप्त होगी।
30 मार्च को चैत्र नवरात्रि की प्रातः कलश स्थापना के लिए साढ़े 3 घंटे से अधिक का समय रहेगा। जो लोग प्रातः कलश स्थापना करना चाहते हैं, वे सुबह 06:13 से 10:22 बजे के बीच घटस्थापना कर सकते हैं।
जो लोग किसी कारणवश चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रातः कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं, वे दोपहर 12:01 से 12:50 बजे के बीच कलश स्थापना कर सकते हैं। इस समय में आपको घटस्थापना के लिए 50 मिनट का शुभ समय मिलेगा।
जगत जननी मां दुर्गा बहुत दयालु और कृपालु हैं। वे अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख-सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र भी मानसिक और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए देवी मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह देता है।
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