चैत्र नवरात्रि नौवें दिन की पूजा विधि

Navratri 9th Day Puja Vidhi: चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की ऐसे करें पूजा, इससे मिलेगा माता का विशेष आशीर्वाद

चैत्र नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त मां सिद्धिदात्री की विधि रूप से पूजा करते हैं, उन्हें अष्टसिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन अर्पित करें मां को गुलाबी और लाल गुलाब 

नवरात्रि के अंतिम दिन विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए, इससे पूरे साल मां का आशीर्वाद बना रहता है। इसलिए विधि-विधान से पूजा करने के लिए यह सामग्री अत्यंत जरूरी हैं।

  • लाल और गुलाबी रंग का गुलाब
  • अक्षत, चंदन, कुमकुम और कच्ची हल्दी
  • नारियल, फल, हलवा और खीर
  • पान का पत्ता, लौंग, इलाइची और सुपारी 
  • दूध और गंगाजल 
  • घी, धूप और दीपक

मां सिद्धिदात्री को चढ़ाएं कमल का फूल 

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें। 
  • दोनों हाथ जोड़कर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करें।
  • मां को चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • मां के चरणों में सबसे पहले जल चढ़ाएं फिर अक्षत, कमल का फूल, गुलाबी और लाल गुलाब अर्पित करें।
  • मां सिद्धिदात्री को भोग में नारियल, नैवेद्य, हलवा और खीर बेहद प्रिय है, इसलिए इस दिन यही भोग मां को लगाएं। 
  • फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरा कर “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः।” का 108 बार जाप करें और हवन करें।
  • अंत में मां की आरती करें और प्रसाद घर के सभी सदस्यों में बांटें।
  • कुछ लोग नवरात्रि के नौवें दिन भी कन्या पूजन करते हैं, इसलिए अगर आप अष्टमी को नहीं कर पाए हैं तो नौवें दिन जरुर करें।

मां सिद्धिदात्री की पूजा से होंगी मनोकामनाएं पूर्ण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन बहुत ही शुभ और आनंदमय है, इस दिन विधिपूर्वक किए गए सभी कार्य मां सिद्धिदात्री के कृपा से सिद्ध होते हैं। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां की विशेष रूप से साधना करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। साथ ही, भक्तों को दुर्लभ आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है और रोग-कष्ट सब दूर होता है।


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