41 साल से मौन, IAS-की फ्री कोचिंग दे रहे हैं 'चाय वाले बाबा'

41 साल से मौन, व्हाट्सएप पर IAS कोचिंग, पढ़ें महाकुंभ में चायवाले बाबा की कहानी


महाकुंभ के विशाल मेले में, जहां लाखों लोग धर्म और आध्यात्म की तलाश में जुटते हैं, वहां एक अनोखा दृश्य देखने को मिल रहा है। एक पायाहारी मौनी बाबा, जो पिछले 41 साल से मौन धारण किए हुए हैं, छात्रों को सिविल सेवा की मुफ्त कोचिंग दे रहे हैं। ये बाबा केवल चाय पीकर अपना जीवन यापन करते हैं और इसी बीच, सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उनकी यह अद्भुत यात्रा और समर्पण भावना लोगों को आकर्षित कर रही है। महाकुंभ में, जहां साधु-संतों की एक विशाल भीड़ होती है, वहां बाबा का अपना एक अलग स्थान है। उनका अनोखा तरीका और समर्पण भावना उन्हें महाकुंभ में एक खास पहचान दिलाती है। बाबा का जीवन और उनके कार्य एक प्रेरणा का स्रोत हैं। वे हमें सिखाते हैं कि मौन रहकर भी हम बहुत कुछ दे सकते हैं। उनका जीवन संदेश है कि सेवा और ज्ञान का प्रसार ही सबसे बड़ा धर्म है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 



मौन व्रत में बाबा कर रहे हैं छात्रों की मदद


41 साल पहले पायाहारी मौनी बाबा ने मौन व्रत ले लिया था और अन्न-जल का त्याग कर केवल दूध वाली चाय पर जीवन यापन करने का संकल्प लिया था। बावजूद इसके, उनकी ऊर्जा और शिक्षण के प्रति समर्पण अद्भुत है। वे छात्रों को सिविल सेवा की तैयारी के लिए नोट्स तैयार करते हैं और उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से भेजते हैं। बिना बोले, लिखकर और डिजिटल माध्यमों से शिक्षा देने का उनका तरीका छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।



व्हाट्सएप के माध्यम से बाबा छात्रों को देते हैं उत्तर


बाबा का मानना है कि मौन एक शक्तिशाली साधन है। जब हम मौन रहते हैं, तो हमारी मानसिक ऊर्जा का अपव्यय नहीं होता। इसके बजाय, यह ऊर्जा हमारे भीतर संचित होती रहती है। इस संचित ऊर्जा को वे दूसरों के कल्याण के लिए उपयोग करते हैं। मौन के माध्यम से वे एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त करते हैं और इसी के माध्यम से वे दूसरों को भी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। हालांकि बाबा आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हैं, फिर भी वे आधुनिक तकनीक का उपयोग करने में विश्वास रखते हैं। वे व्हाट्सएप के माध्यम से अपने छात्रों के सवालों का उत्तर देते हैं। यह दर्शाता है कि वे आधुनिक युग के साथ तालमेल बिठाते हुए अपने ज्ञान का प्रसार करने में विश्वास रखते हैं। कभी-कभी वे जटिल विषयों को स्पष्ट करने के लिए कागज पर लिखकर भी समझाते हैं, जो उनके धैर्य और शिक्षण प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


बाबा का एक अनोखा शौक तेज रफ्तार बुलेट बाइक चलाना है। वे प्रतापगढ़ का सफर मात्र 45 मिनट में तय कर लेते हैं। यह उनके साहसिक स्वभाव और जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाता है। यह भी दर्शाता है कि आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए भी व्यक्ति सांसारिक सुखों का आनंद ले सकता है।



बाबा का संदेश 


बाबा का जीवन छात्रों के लिए एक आदर्श है। उनका मौन और ज्ञान की गहराई यह सिद्ध करती है कि समर्पण, तपस्या और सत्य मार्ग पर चलकर कोई भी व्यक्ति कितनी भी बड़ी चुनौती को पार कर सकता है। महाकुंभ में देश भर से लाखों लोग बाबा के विचारों से प्रेरित होकर जीवन के नए आयाम खोज रहे हैं।


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