शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

भगवान भोलेनाथ को क्यों प्रिय है बेलपत्र, विषपान से जुड़ा है इसका संबंध 


हिंदू धर्म में भगवान शिव को दया और करुणा का सागर माना जाता है। महादेव का स्वभाव बेहद भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसका कल्याण निश्चित होता है। महादेव तो केवल सच्चे मन से की गई पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं, परंतु शिवजी को प्रिय वस्तुएं अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है। शिवजी को बेल पत्र अति प्रिय है।

मान्यता है कि बेल पत्र चढ़ाने से शिव शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की मुराद जल्दी पूरी होती है। अब ऐसे में भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के नियम क्या हैं और भोलेबाबा की पूजा बेलपत्र के बिना क्यों अधूरी है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 


भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना क्यों है अधूरी? 


शिवपुराण के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ तो उससे एक घातक विष निकला। इस विष से सारी दुनिया नष्ट होने की कगार पर थी। तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए इस विष को अपने गले में धारण कर लिया। इससे शिव जी का गला नीला पड़ गया और उनका शरीर बहुत गर्म हो गया। पूरी दुनिया भी जलने लगी। देवताओं ने शिव जी को ठंडा करने के लिए बेल पत्र चढ़ाए। बेल पत्र के कारण शिव जी का शरीर ठंडा हुआ और विष का प्रभाव कम हुआ। तब से शिव जी को बेल पत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।


भगवान शिव को किस विधि से चढ़ाएं बेलपत्र? 


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, विभिन्न देवताओं की पूजा के अपने अलग-अलग विधान हैं। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है। शास्त्रों में शिव जी को बेलपत्र चढ़ाने के विभिन्न प्रकार के नियम बताए गए हैं। शिव जी को बेलपत्र हमेशा चिकनी सतह वाली तरफ से चढ़ाना चाहिए। कटी हुई या टूटी हुई पत्तियां शिव जी को अर्पित नहीं करनी चाहिए। बेलपत्र अखंड होना चाहिए। भगवान शिव को बेलपत्र 3, 5 और 7 संख्या में ही चढाएं। इससे व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र के तीन पत्ते त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। 


बेलपत्र चढ़ाने के दौरान मंत्रों का करें जाप 


  • ॐ नमः शिवाय:
  • त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम् । त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥
  • कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥ दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम् पापनाशनम् । अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥
  • गङ्गाधराम्बिकानाथं फणिकुण्डलमण्डितम् । कालकालं गिरीशं च एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥


बेलपत्र चढ़ाने के दौरान किन नियमों का करें पालन


  • बेलपत्र को हमेशा चिकनी सतह से शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • बेलपत्र को तोड़ते समय "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
  • बेलपत्र को चढ़ाने से पहले उसे जल से धो लें।
  • बेलपत्र पर चंदन से 'ॐ' लिखकर चढ़ाने से भी शुभ फल मिलता है।
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद ही बेलपत्र चढ़ाएं।


बेलपत्र किस दिन नहीं तोड़ना चाहिए? 


अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और सोमवार के दिन बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए।


डिसक्लेमर

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