भगवान को पंचामृत से स्नान क्यों कराते हैं?

भगवान का पंचामृत अभिषेक क्यों किया जाता है, प्रकृति के पांच तत्वों का छिपा सार 


हिंदू धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह एक पवित्र मिश्रण है जिसे पूजा-पाठ में और विशेष अवसरों पर भगवान को अर्पित किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं। इन पांच पवित्र पदार्थों को मिलाकर बनाया गया पंचामृत भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। पंचामृत में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ये पांच तत्व सम्मिलित होते हैं। इन तत्वों का प्रतिनिधित्व करके पंचामृत पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक बन जाता है। ऐसी मान्यता है कि पंचामृत से भगवान को स्नान कराने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। पंचामृत स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में भगवान को पंचामृत से स्नान कराने का महत्व क्या है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 



भगवान को पंचामृत से स्नान कराने का धार्मिक महत्व


पंचामृत पांच अमृत पवित्र और दिव्य पदार्थों से बना एक मिश्रण है, जिसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं।  दूध, दही, घी, शहद और शक्कर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भगवान को इनसे स्नान कराने एक तरह से उनकी पवित्रता को सम्मानित करना और आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना का प्रतीक है। जब कोई भक्त पंचामृत से भगवान को स्नान कराता है, उससे व्यक्ति को ग्रहदोष से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान को पंचामृत से स्नान कराने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। 



भगवान को पंचामृत से स्नान कराने का ज्योतिष महत्व


पंचामृत से अभिषेक करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और भाग्य में सुधार होता है। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में दोष होते हैं या जब किसी ग्रह का अशुभ प्रभाव हो। पंचामृत से स्नान कराना उस ग्रह के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्रदान कर सकता है।

  • धन प्राप्ति के लिए पंचामृत में दूध मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है।
  • संतान प्राप्ति के लिए पंचामृत में दही मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है।
  • रोगों से मुक्ति के लिए पंचामृत में घी मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है।
  • मनोकामना पूर्ण करने के लिए पंचामृत में शहद मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है।
  • बुद्धि वृद्धि के लिए पंचामृत में शक्कर मिलाकर भगवान को स्नान कराया जाता है।



भगवान को पंचामृत से स्नान कराने की विधि क्या है? 


  • एक साफ और पवित्र स्थान पर भगवान की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
  • एक साफ बर्तन में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर को मिलाकर पंचामृत तैयार करें।
  •  फूल और तुलसी के पत्ते भी तैयार रखें।
  • सबसे पहले भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  • फिर तैयार किए गए पंचामृत से भगवान को धीरे-धीरे स्नान कराएं।
  • स्नान करते समय भगवान का नाम जपते रहें।
  • स्नान के दौरान फूलों और तुलसी के पत्तों से भगवान को अर्पित करें।
  • पंचामृत स्नान के बाद भगवान को गंगाजल से अभिषेक करें।
  • अभिषेक के बाद भगवान को साफ कपड़े से पोंछें और नए वस्त्र पहनाएं।
  • भगवान को चंदन, रोली और कुमकुम लगाएं।
  • भगवान को फूलों की माला पहनाएं।
  • अंत में भगवान की आरती करें।

डिसक्लेमर

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