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भारत में भगवान चित्रगुप्त जी के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई पवित्र मंदिरों की स्थापना की गई है। जो कायस्थ समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का केंद्र बिंदु माने जाते हैं। पटना का आदि चित्रगुप्त मंदिर, गोरखपुर का बक्शीपुर चित्रगुप्त मंदिर, तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित चित्रगुप्त स्वामी मंदिर और उज्जैन का शिला मंदिर इनमें से कुछ प्रमुख स्थल हैं। इन मंदिरों की स्थापना प्राचीन काल से ही की गई है और इनके ऐतिहासिक महत्व के कारण ये श्रद्धालुओं के लिए आस्था के प्रमुख केंद्र हैं। ये सुंदर वास्तुकला के लिए भी जाने जाते हैं।
बिहार के पटना सिटी में स्थित यह प्राचीन मंदिर पटना के दीवान मोहल्ला के नौजरघाट क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर मगध की प्राचीन राजधानी पाटलिपुत्र में पतित पावनी गंगा के तट पर बना है। इस मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि यह राजा टोडरमल द्वारा स्थापित किया गया था। यहां काले बेसाल्ट पत्थर से निर्मित भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति स्थापित है। इस स्थान पर कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करते हैं और इसे कायस्थ धाम के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ चित्रगुप्त पूजा के समय विशेष सजावट होती है और लोग इसे देखने दूर-दूर से आते हैं।
गोरखपुर के बक्शीपुर में स्थित यह चित्रगुप्त मंदिर भारत का सबसे बड़ा चित्रगुप्त मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का संचालन कायस्थ समिति द्वारा किया जाता है। जो मंदिर परिसर में विभिन्न सामाजिक कार्य भी करती है। इसे कायस्थों का मक्का कहा जाता है। यहाँ हर दो साल पर समिति के अध्यक्ष व मंत्री का चुनाव किया जाता है। धार्मिक कार्यों के अलावा यह मंदिर समाज कल्याण के कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है और स्थानीय कायस्थ समुदाय के लिए विशेष स्थान रखता है।
तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित यह चित्रगुप्त स्वामी मंदिर दक्षिण भारत का प्रमुख धार्मिक स्थल है। मंदिर का उल्लेख करणीगर पुराणम और विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी मिलता है। यहां चित्रगुप्त स्वामी की पूजा करुणीगर कायस्थों द्वारा की जाती है। यह मंदिर कांचीपुरम के मध्य में स्थित है और यहाँ भगवान चित्रगुप्त की पूजा एक विशेष रीति से होती है। अपनी स्थापत्य कला के कारण यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के तट पर अंकपात क्षेत्र में स्थित यह शिला मंदिर भगवान चित्रगुप्त के तपोभूमि के रूप में माना जाता है। यहाँ भगवान चित्रगुप्त ने तपस्या करके सर्वज्ञता प्राप्त की थी। यह स्थान अवंतिका या उज्जयिनी भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र स्थल माना जाता है। यह कायस्थों के चार धामों में प्रथम स्थान पर है और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
अयोध्या में फैजाबाद के नयाघाट क्षेत्र में स्थित श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर सरयू नदी के तट पर स्थित है और इसकी दूरी नयाघाट से लगभग एक किलोमीटर है। इस मंदिर का महत्व कायस्थों के चार धामों में दूसरे स्थान पर आता है और यहाँ भगवान चित्रगुप्त जी की विशेष पूजा-अर्चना होती है। धार्मिक पर्यटन के रूप में इस मंदिर का महत्व है। अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु भी इस मंदिर में अपनी आस्था प्रकट करने आते हैं।
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