नवीनतम लेख
अशोक वाटिका लंका में स्थित एक उपवन है, जो राक्षस राजा रावण के राज्य में स्थित है। इसका उल्लेख पुराण और वाल्मीकि के हिंदू महाकाव्य रामायण और उसके बाद के सभी संस्करणों में मिलता है। रावण ने सीता माता को हरण करने के पश्चात बंधक बनाकर यहीं रखा था, क्योंकि उन्होंने रावण के महल में रहने के इनकार कर दिया था और अशोक वाटिका में शिमशप वृक्ष के नीचे रहना पसंद किया था। यहीं पर हनुमान जी ने सीता माता से पहली बार मुलाकात की थी।
रामबाड़ा में रामायण के अंजनेयार (हनुमान) मंदिर है जहां हनुमान सीता की खोज में उतरे थे। यह मंदिर कैंडी से नुवाला एलिया मुख्य सड़क से लगभग एक किमी दूर हैं। यहां हनुमान से पैरो के निशान है।
पानी की सुंदर धारा, पहाड़ियों और पेड़ मंदिर की सुंदरता को बढ़ाते हैं, जिसमें राम,लक्ष्मण और सीता की सुनहरी मूर्तियां है। अशोक वाटिका वन बहुत दुर्गम है। वैसे तो वहां कई पेड़ है लेकिन सबसे खास है अशोक का पेड़। स्थानीय तमिल हिंदू अशोक वाटिका को अशक वनम कहते हैं। वाल्मीकि रामायण में युद्ध के बाद हनुमान द्वारा अशोक वाटिका को आग लगाने का किस्सा मिलता है। अशोक वाटिका की खासियत इसकी काली मिट्टी है जो राख जैसी दिखती है। अशोक वाटिका के विपरीत दिशा में भूमि लाल है एवं श्रीलंका के अन्य सभी भागों में मिट्टी लाल है। वाटिका के चारों ओर उद्यान है, जिसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था।
यहां पर सीता नवमी, राम नवमी, हनुमान जयंती प्रमुख तौर पर मनाई जाती है। मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं को बाल बांधने होते है। स्थानीय तमिल हिंदू हर शनिवार और मंगलवार को दर्शन करने के लिए आते हैं।
भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी सीता माता को ढूंढने लंका गए थे। उन्होंने सीता माता को भगवान राम की अंगूठी फेंकी, जिससे उन्हें अंदाजा हुआ कि हनुमान को भगवान राम ने ही भेजा है। बता दें कि श्रीलंका में जहां जहां हनुमान जी के पैर पड़े वहां-वहां उनके पैरों के निशान बने हुए है और पैर के आकार के गड्ढे बन गए है। इन निशानों को आज भी देखा जा सकता है।
इस वाटिका में जाने के बाद अशोक के पेड़ पर सबका ध्यान जाना है। माना जाता है कि जब इसका पत्ता हाथ में होता है तो व्यक्ति को पूरे शरीर में चैतन्य का प्रवाह महसूस होता है। इस पेड़ की खास बात है कि पेड़ पर साल में दो बार लाल फूल खिलते हैं। इसे सीता फूल कहा जाता है। बताया जाता है कि इस पेड़ ने माता के जैसे प्रेम देकर सीता का दुख दूर किया था, इसलिए इसे अशोक वृक्ष कहते हैं।
सीता एलिया गांव में सीता नदी के किनारे पहाड़ पर स्थित अशोक वाटिका का रास्ता बहुत कठिन है। पहाड़ घने जंगल से भरा हुआ है। यहां तक कि यहां आसपास रहने वाले लोग भी जंगल में जाने की हिम्मत नहीं करते।
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के लिए फ्लाइट लें। वहां से स्थानीय परिवहन या टैक्सी से लंका के प्रमुख स्थलों पर पहुंच सकते हैं। यहां आप गाइड की मदद भी ले सकते हैं।
अशोक वाटिका पूरे सप्ताह खुली रहती है। यहां दर्शन सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर 2 बजे से शाम 6.30 बजे तक होते है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।