नवीनतम लेख
भगवान सूर्य देव की उपासना का दिन वृश्चिक संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव की प्राप्ति के साथ दुःखों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है इस साल वृश्चिक संक्रांति कब हैं। वृश्चिक संक्रांति 2824 को लेकर थोड़ा असमंजस है। ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा है कि यह 16 को है या 17 नवंबर को। तो आइए इस दुविधा को दूर करते हैं और जानते हैं कि यह आखिर है किस दिन? साथ ही जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व भी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो यह संक्रांति कहलाती है। इसे उस राशि के नाम की संक्रांति भी कहा जाता है। जैसे नवंबर में ग्रहों के राजा सूर्य मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे तो यह वृश्चिक संक्रांति कहलाई। संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा, गंगा स्नान और दान-पुण्य का बहुत अधिक महत्व है।
वैदिक पंचाग के अनुसार सूर्य देवता 16 नवंबर 2024 को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में आएंगे। इस दौरान सूर्य पहले 19 नवंबर 2024 को अनुराधा नक्षत्र में गोचर करेंगे जिसके बाद 2 दिसंबर 2024 को ज्येष्ठा नक्षत्र में गोचर करेंगे। इसलिए वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर को मान्य होगी। संक्रांति में पुण्यकाल यानी मुहूर्त में स्नान दान किया जाता है।
वृश्चिक संक्रांति का पुण्य कालः सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर 7 बजकर 41 मिनट तक।
वृश्चिक संक्रांति महा पुण्यकालः सुबह 6 बजकर 42 मिनट से लेकर 7 बजकर 41 मिनट तक
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।