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वृषभ संक्रांति 2025 तिथि

वृषभ संक्रांति 2025 तिथि

कब है वृषभ संक्रांति, जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व 


हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह संक्रांति न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि परंपराओं में भी विशेष महत्व रखती है।

गुरुवार, 15 मई को है वृषभ संक्रांति 

इस साल वृषभ संक्रांति गुरुवार, 15 मई को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव रात 12 बजकर 11 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन पुण्य काल सुबह 5:49 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक और महा पुण्य काल सुबह 5:49 बजे से 8:01 बजे तक रहेगा। साथ ही, शिव योग सुबह 7:02 बजे तक रहेगा।

हिंदू धर्म में पुण्य काल और महा पुण्य काल को अत्यंत शुभ माना जाता है। इन कालों में स्नान, दान, जप और पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है।

वृषभ संक्रांति से शुरू होता है सुख का समय

सूर्य देव का हर महीने राशि परिवर्तन नए सौर चक्र की शुरुआत का प्रतीक होता है। वृषभ संक्रांति के साथ वृषभ मास का आरंभ होता है जो सौम्यता, स्थिरता और भौतिक सुख-सुविधाओं के संकेत देता है। वृषभ राशि शुक्र ग्रह द्वारा शासित होती है, जो प्रेम, सुंदरता और विलासिता का प्रतीक है।

इस दौरान सूर्य की स्थिति जीवन में स्थिरता, धन, खेती और वैवाहिक सुखों पर प्रभाव डालती है। यह समय धार्मिक कार्यों, भूमि से संबंधित योजनाओं और आर्थिक निवेश के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

वृषभ संक्रांति के दिन भगवान विष्णु, शंकर और सूर्य की करें पूजा

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। 
  • घर के मंदिर में दीपक जलाकर भगवान सूर्य, विष्णु और शिव की विधिपूर्वक पूजा करें। 
  • विशेष रूप से इस दिन सूर्य मंत्र ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ का जप 108 बार करें। इससे जीवन में प्रकाश, स्वास्थ्य और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
  • गाय की पूजा, तुलसी को जल अर्पण और सात्विक भोजन ग्रहण करना इस दिन को और भी फलदायक बनाता है। 
  • इस दिन व्रत रखने वाले दिनभर फलाहार करते हैं और शाम को पूजा के बाद अन्न ग्रहण करते हैं।
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बसंत पंचमी पर गुलाल क्यों चढ़ाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी पर पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

बसंत पंचमी सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

बसंत पंचमी का राशि पर प्रभाव

बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान, विद्या और कला की देवी सरस्वती को समर्पित है।

बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

बसंत पंचमी का पर्व जो कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष है जो कि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है।

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