22 से 30 अप्रैल 2025 व्रत/त्योहार

April 2025 Fourth Week Vrat Tyohar: 22 से 30 अप्रैल पहले हफ्ते में पड़ेंगे ये त्योहार, देखें लिस्ट


अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अप्रैल साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल का चौथा हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे। जिनमें वल्लभाचार्य जयंती, परशुराम जयंती, वरूथिनी एकादशी और अन्य शामिल हैं। ये त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमार जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भर सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में अप्रैल के चौथे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं और उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।


22 से 30 अप्रैल 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 22 अप्रैल 2025-  कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 23 अप्रैल 2025-  कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 24 अप्रैल 2025-  वल्लभाचार्य जयंती, वरूथिनी एकादशी
  • 25 अप्रैल 2025-  वरूथिनी एकादशी पारण, प्रदोष व्रत
  • 26 अप्रैल 2025-  मासिक शिवरात्रि
  • 27 अप्रैल 2025-  दर्श अमावस्या, वैशाख अमावस्या
  • 28 अप्रैल 2025-  कोई व्रत या त्योहार नहीं है। 
  • 29 अप्रैल 2025-  परशुराम जयंती, मासिक कार्तिगाई
  • 30 अप्रैल 2025- अक्षय तृतीया, मातंगी जयंती, रोहिणी व्रत


22 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

22 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

मंगलवार का व्रत- इस तारीख को कोई त्योहार नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं। यह व्रत हनुमान जी को समर्पित है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर हनुमान मंदिर में जाकर भगवान हनुमान की पूजा करें। उन्हें लाल सिंदूर और चमेली के फूल चढ़ाएं। इसके अलावा आप हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


23 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

23 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

बुधवार का व्रत- इस तारीख को कोई त्योहार नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। बुधवार के दिन भगवान गणेश और भगवान बुध को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर गणेश मंदिर में जाकर भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें हरी मूंग और दूर्वा चढ़ाएं। इसके अलावा, आप गणेश मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। बुधवार के दिन गणेश और बुध की पूजा करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


24 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

24 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

वल्लभाचार्य जयंती- श्री वल्लभाचार्य एक भक्तिमय दार्शनिक थे। इन्होंने भारत में पुष्टि मार्ग सम्प्रदाय की स्थापना की, जिसे वल्लभ सम्प्रदाय के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 1479 ई. में वाराणसी में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके जन्मदिवस को श्री वल्लभाचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो वैशाख माह की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि पर पड़ता है। वह भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे और उन्होंने भगवान कृष्ण के श्रीनाथजी स्वरूप की पूजा की थी। उन्हें महाप्रभु वल्लभाचार्य के नाम से भी जाना जाता है।

वरूथिनी एकादशी- वरूथिनी एकादशी का व्रत उत्तर भारतीय पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के दौरान और दक्षिण भारतीय अमान्त पंचांग के अनुसार चैत्र माह में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ता है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक है, और यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए और प्रातःकाल पारण करना सबसे उपयुक्त समय है। यदि एकादशी व्रत दो दिनों के लिए होता है, तो स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन व्रत करना चाहिए और सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए।


25 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

25 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

वरूथिनी एकादशी पारण- वरूथिनी एकादशी का व्रत उत्तर भारतीय पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के दौरान और दक्षिण भारतीय अमान्त पंचांग के अनुसार चैत्र माह में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ता है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक है, और यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को हरि वासर के दौरान पारण नहीं करना चाहिए और प्रातःकाल पारण करना सबसे उपयुक्त समय है। यदि एकादशी व्रत दो दिनों के लिए होता है, तो स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन व्रत करना चाहिए और सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए।

प्रदोष व्रत- प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जिसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। यह व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है। जिसमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। प्रदोष का दिन जब सोमवार, मंगलवार या शनिवार को आता है तो उसे क्रमशः सोम प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष कहा जाता है। प्रदोष व्रत का दिन त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल के साथ-साथ होने पर निर्धारित किया जाता है, जो सूर्यास्त से प्रारम्भ होता है। प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं और यह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। 


26 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

26 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

मासिक शिवरात्रि- शिवरात्रि शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है, जो प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शिवरात्रि व्रत प्राचीन काल से ही प्रचलित है और हिन्दु पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। श्रद्धालु शिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं और मध्य रात्रि में जागरण करते हैं। अविवाहित स्त्रियां इस व्रत को विवाह की कामना से और विवाहित स्त्रियां अपने विवाहित जीवन में सुख एवं शान्ति के लिए करती हैं। मासिक शिवरात्रि यदि मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह अत्यधिक शुभ होती है।


27 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

27 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

दर्श अमावस्या- हिन्दु कैलेंडर में अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है, जो नये चन्द्रमा के दिन को दर्शाता है। इस दिन कई धार्मिक कृत्य किये जाते हैं, जैसे कि सोमवती अमावस्या जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है और शनि अमावस्या जब अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है। अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध की रस्में की जाती हैं और कालसर्प दोष निवारण की पूजा भी की जाती है। अमावस्या को अमावस या अमावसी के नाम से भी जाना जाता है। यह अमावस्या वैशाख माह में पड़ रही है, इसलिए इसे वैशाख अमावस्या भी कहा जाता है। 


28 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

28 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

सोमवार का व्रत- इस तारीख को कोई त्योहार नहीं है, लेकिन वार के हिसाब से आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें जल, दूध और फूल चढ़ाएं। इसके अलावा आप शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। सोमवार के दिन व्रत रखना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


29 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

29 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

परशुराम जयंती- परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठवें अवतार के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनायी जाती है, जो वैशाख माह में शुक्ल पक्ष तृतीया के समय पड़ता है। भगवान विष्णु ने पापी और अधार्मिक राजाओं का विनाश करने के लिए परशुराम जी के रूप में अवतार धारण किया था। हिन्दु मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी वर्तमान में भी पृथ्वी पर निवास करते हैं और उनकी पूजा नहीं की जाती है, लेकिन दक्षिण भारत में उनके कई मन्दिर हैं। 

मासिक कार्तिगाई- कार्तिगाई दीपम तमिल हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्योहार तमिल लोगों के सबसे पुराने त्यौहारों में से एक है और कार्तिकाई या कृत्तिका नक्षत्र के नाम पर रखा गया है। इस दिन घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाए जाते हैं। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध है, जहां पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो कई किलोमीटर तक दिखता है। इसे महादीपम कहते हैं।


30 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहार 

30 अप्रैल 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

अक्षय तृतीया- अक्षय तृतीया हिन्दु धर्मावलम्बियों के लिए एक अत्यधिक शुभ और पवित्र दिन है, जो वैशाख माह में शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन आता है। इस दिन को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। बुधवार के साथ रोहिणी नक्षत्र वाले दिन पड़ने वाली अक्षय तृतीया को अत्यधिक शुभ माना जाता है। अक्षय शब्द का अर्थ कभी कम न होने वाला होता है, इसलिए इस दिन किए गए जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य का लाभ कभी कम नहीं होता। मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया सौभाग्य और सफलता प्रदान करती है। इस दिन स्वर्ण क्रय करने से आने वाले भविष्य में अत्यधिक धन-समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान विष्णु द्वारा शासित इस दिन को हिन्दु पौराणिक कथाओं में त्रेता युग के आरम्भ के रूप में भी माना जाता है।

मातंगी जयंती- हिन्दु पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर देवी मातंगी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इसे मातंगी जयंती के रूप में मनाया जाता है। देवी मातंगी दस महाविद्याओं में से नौवीं महाविद्या हैं, जो राज मातंगी, सुमुखि मातंगी, उच्छिष्ट मातंगी आदि रूपों में पूजित हैं। देवी मातंगी की पूजा-अर्चना एवं साधना करने से व्यक्ति उत्तम गृहस्थ जीवन, ललित कलाओं में सिद्धि और वाणी में दिव्य तेज प्राप्त करता है। देवी मातंगी की कृपा से मूढ़ व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है और साधक संगीत आदि विद्याओं में सिद्धि प्राप्त करते हैं।

रोहिणी व्रत- रोहिणी व्रत जैन समुदाय का एक महत्वपूर्ण दिन है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के दिन किया जाता है, जो हिन्दु और जैन कैलेंडर में वर्णित 27 नक्षत्रों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग रोहिणी व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, वे सभी प्रकार के दुखों और दरिद्रता से मुक्त हो जाते हैं। यह व्रत आमतौर पर तीन, पांच या सात वर्षों तक लगातार किया जाता है। बता दें कि इसकी उचित अवधि पांच वर्ष, पांच महीने है। उद्यापन के द्वारा ही इस व्रत का समापन किया जाना चाहिए।


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हम को मन की शक्ति देना (Hum Ko Mann Ki Shakti Dena)

हम को मन की शक्ति देना,
मन विजय करें ।

गल मोत्यां को हार, सिर चुनड़ चमकदार (Gal Motiyan Ko Haar Sir Chunad Chamakdar)

गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,

दुनिया मे देव हजारो हैं बजरंग बली का क्या कहना (Duniya Me Dev Hazaro Hai Bajrangbali Ka Kya Kahna)

दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना
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लाल लाल चुनरी सितारो वाली (Laal Laal Chunari Sitaron Wali)

लाल लाल चुनरी सितारों वाली,
सितारो वाली,

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