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वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा

वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा

Vaishakh Purnima Katha:  वैशाख पूर्णिमा के दिन करें कथा का पाठ, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण


वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि, संतान सुख और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा 11 मई को है। 

संतान प्राप्ति के लिए धनेश्वर और सुशीला ने किया था वैशाख पूर्णिमा का व्रत 

एक समय की बात है, जब कांतिक नामक नगर में राजा चंद्रहास्य का शासन था। उसी नगर में धनेश्वर नाम के एक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुशीला के साथ निवास करता था। उनके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, मगर वे संतान सुख से वंचित थे। एक दिन नगर में एक साधु आए, जो घर-घर भिक्षाटन करते थे, लेकिन वे धनेश्वर के घर नहीं जाते थे। यह देखकर धनेश्वर और सुशीला दुखी हुए और साधु से इसका कारण पूछा। साधु ने उत्तर दिया कि निःसंतान घर से भिक्षा लेना पाप के समान है, इसलिए मैं आपके घर नहीं आता। यह सुनकर धनेश्वर ने साधु से संतान सुख प्राप्ति का उपाय पूछा।

साधु ने उन्हें 32 पूर्णिमाओं तक दीपक जलाने का दिया था सुझाव

साधु ने उन्हें वैशाख पूर्णिमा का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पूर्णिमा को दीपक जलाएं और 32 पूर्णिमाओं तक यह क्रम जारी रखें। इस व्रत से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। 

साधु के कहने पर धनेश्वर और सुशीला ने व्रत प्रारंभ किया। 32 पूर्णिमाओं तक दीपक जलाने के बाद, उनकी पत्नी गर्भवती हुई और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। उनके पुत्र का नाम देवदास रखा गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवदास का जीवन सुखमय तथा सदा सम्पन्न रहा।

वैशाख पूर्णिमा के व्रत से रहती है जीवन में शांति

  • वैशाख पूर्णिमा का व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • साथ ही, लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य हमेशा बना रहता है।
  • भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  • इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में शांति का वास होता है।

वैशाख पूर्णिमा कथा का महत्व

वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा को पढ़ने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही, यह कथा सुनने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करते हैं।
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कालाष्टमी अप्रैल 2025 में कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा

हिंदू धर्म में एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है वरुथिनी एकादशी, जो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

अप्रैल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है

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