हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ को विशेष पुण्य दायक बताया गया है।
तर्पण करने का सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त होता है, यह समय मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए आदर्श माना गया है। यदि ब्रह्म मुहूर्त संभव न हो तो सूर्योदय से ठीक पहले या सूर्योदय के समय तर्पण करें। दोपहर या शाम को तर्पण नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म में पिंडदान को पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष का सर्वश्रेष्ठ मार्ग माना जाता है। पिंड का अर्थ ‘शरीर या अन्न से बना गोल आकार’, जो आत्मा को भौतिक जगत से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है। इसलिए पिंडदान करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है और वे आशीर्वाद के रूप में अपने वंशजों को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। वैशाख अमावस्या जैसे पवित्र तिथि पर पिंडदान का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन यह कर्म खासतौर पर उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका निधन असमय, दुर्घटना या अन्य कारणों से हुआ हो।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता हैं 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए संकल्प और नियमों की आवश्यकता पड़ती है।