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हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, खासकर जब यह तिथि वैशाख माह में आती है। वैशाख अमावस्या को पितृ दोष के निवारण के लिए अत्यंत शुभ समय माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रद्धा पूर्वक किए गए उपायों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, पीपल का वृक्ष अत्यन्त पवित्र माना जाता है, क्योंकि इसमें देवताओं और पितरों का वास होता है। इसलिए वैशाख अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसकी 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। साथ ही, पीपल को जल अर्पित करें और पितरों के मोक्ष की प्रार्थना करें। इसे पितरों को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय माना गया है।
पितरों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए वैशाख की अमावस्या पर तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान निश्चित रूप से करना चाहिए। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी के किनारे जाकर ये कर्म करें। साथ ही, तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष मंत्रों और विधि का पालन करना चाहिए। पितृ चालीसा का पाठ करके भी आप अपने पूर्वजों को संतुष्ट कर सकते हैं। इससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन उपायों को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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