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मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था, इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी की पूजा के साथ-साथ उनके श्रृंगार का भी विशेष महत्व है। सनातन परंपरा के अनुसार, देवियों का सोलह श्रृंगार किया जाता है लेकिन चूंकि एकादशी माता विवाहित नहीं है ऐसे में सोलह श्रृंगार नहीं हो सकता है। आइये जानते हैं उत्पन्ना एकादशी पर माता का श्रृंगार कैसे करे? साथ ही जानेंगे इसके महत्व के बारे में।
एकादशी को भले ही हम माता कहते हैं, लेकिन वह कुंवारी कन्या हैं ऐसे में हमें उनका श्रृंगार किसी कन्या की भांति ही करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी का श्रृंगार करने के लिए ये सामग्री एकत्रित करें:
उत्पन्ना एकादशी पर माता एकादशी का श्रृंगार करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो उनकी महिमा और शक्ति को दर्शाता है। इस दिन माता एकादशी का श्रृंगार करने से कई लाभ होते हैं:
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