त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है त्रिपुर भैरवी जयंती, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ


हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है। शास्त्रों में माता त्रिपुर भैरवी को मां काली का ही रूप माना गया है। इस दिन माता त्रिपुर भैरवी की विशेष पूजा और अर्चना की जाती है, जिससे व्यक्ति के सभी कष्ट और अहंकार नष्ट हो जाते हैं। इस लेख में हम त्रिपुर भैरवी जयंती के महत्व, पूजा विधि और लाभों के बारे में जानेंगे।

 

कब है त्रिपुर भैरवी जयंती 2024?  


पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर त्रिपुर भैरवी जयंती मनाई जाती है। साल 2024 में इस तिथि की शुरूआत 14 दिसंबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगी जो 15 दिसंबर को रात 2 बजकर 31 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में त्रिपुर भैरवी जयंती 15 दिसंबर को मनाई जाएगी।


त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त 


त्रिपुर भैरवी जयंती के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर 12 बजकर 03 मिनट तक है। ऐसे में इस मुहूर्त में माता का पूजा किया जाता सकता है। 


मां त्रिपुर भैरवी की पूजा से लाभ 


मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। वे भक्तों को शत्रुओं से बचाती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसके अलावा वे भक्तों की मनोकामनाओं को सुनती हैं और उन्हें पूरा करती हैं। मां की कृपा से भक्तों को सुख, समृद्धि, धन-धान्य की प्राप्ति होती है और नियमित पूजा और ध्यान से भक्तों को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके अलावा त्रिपुर भैरवी की पूजा से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, रोगों से मुक्ति मिलती है, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। मनचाहे वर या कन्या से विवाह के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।


त्रिपुर भैरवी जयंती की पूजा विधि


त्रिपुर भैरवी जयंती पर विधि-विधान से मां की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन माता की पूजा इस विधि से कर सकते हैं- 


पूजा सामग्री:


  • मां त्रिपुर भैरवी की मूर्ति या तस्वीर
  • लकड़ी की चौकी
  • कलश
  • श्रृंगार की वस्तुएं
  • कुमकुम
  • लाल फूलों की माला
  • फल
  • मिठाई
  • तिल के तेल का दीपक
  • कपूर
  • मंत्र पुस्तक
  • पूजा के लिए अन्य आवश्यक सामग्री


पूजा विधि:


  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक चौकी पर मां त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। चौकी को शुद्ध कपड़े से ढकें।
  • मां को लाल रंग के वस्त्र चढ़ाएं। उन्हें श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं। 
  • माता को फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • मां के समक्ष तिल के तेल का दीपक लगाएं और त्रिपुरभैरवी के मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा का समापन कपूर की आरती से करें।


मंत्र: 


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं त्रिपुरा सुन्दरी नमः
ॐ त्रिपुर भैरवी नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नमः


पूजा के दौरान रखें ये सावधानियां


मान्यताओं के अनुसार माता की पूजा के दौरान सावधानी रखना बेहद जरूरी है। ऐसे में नीचे दी गई सावधानियों का पूजा के दौरान जरूर ध्यान रखें- 


  • मन को शांत और एकाग्र रखें ताकि आप पूजा के दौरान पूरी तरह से मां के चरणों में समर्पित हो सकें।
  • मां के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें, जिससे आपकी पूजा और अधिक फलदायी हो।
  • लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि लाल रंग मां को बहुत प्रिय है।
  • पूजा के दौरान भोजन में मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन न करें, क्योंकि ये चीजें पूजा के दौरान अशुद्ध मानी जाती हैं।
  • पूजा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे आपकी पूजा और अधिक पवित्र और फलदायी हो।


त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति की कथा


माता त्रिपुर भैरवी की शक्ति और महिमा के बारे में दुर्गासप्तशती में बताया गया है। उनके उग्र रूप की चमक हजारों उगते सूर्यों के समान होती है। धार्मिक कथाओं में बताया गया है कि माता त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति महाकाली के छाया रूप से हुई है। देवी भागवत के अनुसार, माता त्रिपुर भैरवी छठी महाविद्या हैं। उनका नाम "त्रिपुर" तीनों लोकों को दर्शाता है, और "भैरवी" काल भैरव से संबंधित है। काल भैरव भगवान शिव के अवतार हैं। 



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