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हिंदू धर्म में, थाईपुसम एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार विशेषकर तमिल समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है। बता दें कि भगवान मुरुगन को सुब्रमण्यम, सन्मुख्य, साधना, स्कंद और गुहा आदि नामों से भी जाना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि थाईपुसम त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसे मनाने के पीछे क्या मान्यता है।
थाईपुसम भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय के तमिल भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। ये त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारत में सौर कैलेंडर के अनुसार मकर महीने के साथ होता है। थाईपुसम शब्द में थाई और पुसम दो शब्द शामिल हैं। यहां पुसम का अर्थ नक्षत्रम पुसम कहते हैं, इसे पुष्य भी कहा जाता है। ये त्योहार भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका और दुनिया के कई अन्य देशों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
कवाड़ी अट्टम, थाईपुसम समारोह की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। लोग एक अर्ध-वृत्ताकार लकड़ी का वाहक बनाते हैं। यह भक्तों द्वारा भगवान मुरुगन के लिए चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कई भक्त अपने सिर को ढंकते हैं और नंगे पांव चलते हैं। इस दौरान वो कावड़ी को अपने कंधे पर लेकर चलते हैं। श्रद्धा और भक्ति के साथ कावड़ी को ले जाने पर नाचने की रस्म को कवाड़ी अट्टम कहा जाता है। इसके जरिए भक्त परमात्मा में अपने अटूट विश्वास का प्रदर्शन करते हैं।
थाईपुसम को वो दिन माना जाता है जब देवी पार्वती ने अपने योद्धा पुत्र मुरुगन जिसे सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है उन्हें वेल यानी एक दिव्य भाला उपहार में दिया था। क्योंकि, वो सोरापदमन नामक एक दानव के अत्याचार को समाप्त करने के लिए युद्ध के मैदान में गए थे। बता दें कि, दानव सोरापदमन इतना शक्तिशाली हो गया था कि देवता उसे हराने में असफल रहे। ऐसे में ब्रह्मांड को बचाने के लिए देवों ने भगवान शिव से मदद मांगी और उन्होंने बदले में अपनी दिव्य शक्तियों के साथ मुरुगन को जन्म दिया। इस प्रकार ये योद्धा भगवान अस्तित्व में आए। आखिरकार, सोरापदमनन का वध कर दिया गया और दानव की मृत्यु के साथ देवताओं को उनके दुखों से छुटकारा मिला और साथ ही शांति और धर्म को स्थापित किया गया।
थाईपुसम तमिल कैलेंडर के अनुसार थाई माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ये त्यौहार हर साल जनवरी या फरवरी में पड़ता है। इस बार ये पर्व 11 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा।
पूसम नक्षत्र प्रारंभ:- 10 फरवरी, 2025 को शाम 06 बजकर 01 मिनट पर।
पूसम नक्षत्र समाप्ति:- 11 फरवरी, 2025 को 06 बजकर 34 मिनट तक।
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