थाईपुसम त्योहार कब है

Thaipusam Festival 2025: कब है तमिलनाडु का प्रमुख त्योहार थाईपुसम, जानें तिथि


थाईपुसम त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अंधकार पर प्रकाश की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। भक्तजन जीवन की बाधाओं को पार करने के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए मुरुगन से प्रार्थना करते हैं। भारत में, थाईपुसम का उत्सव खास तौर पर तमिलनाडु में मनाया जाता है। कुछ शहरों में स्ट्रीट फूड स्टॉल लगाए जाते हैं, जहां कावड़ी तीर्थयात्रा पर जाने वाले लोगों के लिए पीले और नारंगी रंग की मिठाइयाँ बेची जाती हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में थाईपुसम पर्व की तिथि और महत्त्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


जानिए थाईपुसम की तिथि और मुहूर्त   


थाईपुसम तमिल कैलेंडर के अनुसार थाई माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ये त्यौहार हर साल जनवरी या फरवरी में पड़ता है। इस बार ये पर्व 11 फरवरी 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। 


  • पूसम नक्षत्र प्रारंभ:- 10 फरवरी, 2025 को शाम 06 बजकर 01 मिनट पर। 
  • पूसम नक्षत्र समाप्ति:- 11 फरवरी, 2025 को 06 बजकर 34 मिनट तक। 


इस दिन किसकी पूजा होती है?


थाई पूसम एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो खासकर तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है। बता दें कि भगवान मुरुगन को सुब्रमण्यम, सन्मुख्य, साधना, स्कंद और गुहा आदि नामों से भी जाना जाता है।


क्यों मनाया जाता है थाईपुसम?


पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार 'सोरापदमन' नाम के एक दानव को वरदान मिला कि भगवान शिव की स्वयं की संतानों के अलावा उसे और कोई नहीं हरा सकेगा ना ही मार सकेगा। इसमें एक और शर्त यह थी कि शिव की संतान का जन्म किसी महिला से नहीं होना चाहिए। इस वरदान से सोरापदमन बहुत अहंकारी हो गया। वो स्वयं को अजेय मानकर सबपर अत्याचार करने लगा और तीनों लोकों में अत्याचार शुरू कर दिया। उसकी प्रताड़ना से त्राहि-त्राहि करते हुए सभी देवताओं ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे ऐसी संतान की मांग की जिससे 'सोरापदमन' को मारा जा सके। 


तब भगवान शिव ने पुत्र 'मुरुगन' जिनको कार्तिकेय या सुब्रमण्यम के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें अपने माथे की लपटों से उत्पन्न किया। इसके बाद माता पार्वती ने मुरुगन को सोरापदमन को हराने के लिए एक दिव्यास्त्र प्रदान किया। भगवान मुरुगन ने तुरंत सभी लोकों पर नियंत्रण कर लिया और सोरापदमन तथा उसकी सेना का वध कर दिया। तभी से इस दिन थाईपुसम का विशेष उत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही ये दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी माना जाता है।


जानिए क्यों विशेष माना जाता है ये दिन? 


इस दिन कई भक्त अपने कंधों पर एक विशेष कांवड़ ले जाते हैं, जिसे 'छत्रिस' कहा जाता है।

भक्त कावड़ ले जाने के दौरान नृत्य करते हुए ‘वेल वेल शक्ति वेल’ का उद्घोष करते हैं। मान्यता है कि ‘ वेल वेल शक्ति वेल’ के इस जयकारे से भगवान मुरुगन अपने सभी भक्तों के अंदर एक नयी शक्ति और उर्जा का भरते हैं। बता दें कि, कांवड़ के रूप में भक्त मटके या फिर दूध के बर्तन ले जाते हैं।


........................................................................................................
गृह शांति पूजा विधि

हिंदू धर्म में एक परिवार के लिए उसका घर एक मंदिर की तरह होता है। ऐसे में वो नहीं चाहेगा, कि घर में किसी तरह की दिक्कत आए। इसी कारण से लोग घर के लिए गृह शांति पूजा करवाते हैं।

बिन पानी के नाव (Bin Pani Ke Naav)

बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥

गाइये गणपति जगवंदन (Gaiye Ganpati Jagvandan)

गाइये गणपति जगवंदन ।
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने