देश के प्रमुख सूर्य मंदिर

रथ सप्तमी के दिन इन सूर्य मंदिरों का करें दर्शन! अद्भुत वास्तुकला के जीवंत उदाहरण 



हिंदू धर्म में, सूर्यदेव का विशेष स्थान है। वे नवग्रहों में प्रमुख माने जाते हैं। साथ ही स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।  शायद, इसी वजह से प्राचीन काल से सूर्य देव की पूजा की परंपरा चली आ रही है और उनके सम्मान में भारत के विभिन्न भागों में भव्य सूर्य मंदिरों का निर्माण हुआ। ये सूर्य मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला, महत्व और मान्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। रथ सप्तमी के दौरान आप इन मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में भारत के कुछ प्रमुख सूर्य मंदिरों के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 

कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा


कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था। इसे एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है। इसमें, 24 विशाल पहिए और 7 घोड़े लगे हैं, जो सूर्यदेव के रथ को दर्शाते हैं। कहा जाता है कि मंदिर के शिखर पर 52 टन का चुंबक लगाया गया था जिसकी वजह से मंदिर के पत्थर आपस में जुड़े रहते थे। यहां सूर्योदय की पहली किरण सीधे मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर पड़ती है। कोणार्क सूर्य मंदिर भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला का अद्भुत उदाहरण पेश करता है। 

ओसियां सूर्य मंदिर, राजस्थान


राजस्थान के जोधपुर से लगभग पच्चास मिल की दूरी पर मौजूद है, राजस्थान का सबसे प्राचीनतम और अद्भुत मंदिर। यह मंदिर 9वीं शताब्दी में प्रतिहार वंश के राजाओं द्वारा बनवाया गया था। इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है। यहां, कई खूबसूरत प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इस मंदिर में सूर्यदेव की मूर्ति नहीं है परंतु इसकी वास्तुकला और स्थापत्य कला इसे खास बनाती है। समय की मार और प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह मंदिर काफी क्षतिग्रस्त हो गया है, फिर भी इसकी सुंदरता आज भी बरकरार है।

मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात


गुजरात के मेहसाणा जिले में पुष्पावती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है। पहला गर्भगृह जहां सूर्यदेव की प्रतिमा रखी गई थी। दूसरा सभा मंडप जिसमें 52 स्तंभ हैं, जो साल के 52 हफ्तों को दर्शाते हैं। और तीसरा सूर्य कुंड नामक एक विशाल जलाशय, जिसमें 108 छोटे मंदिर हैं। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर सूर्य देव की विभिन्न आकृतियाँ उकेरी गई है।

मार्तंड सूर्य मंदिर, कश्मीर


भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश के अनंतनाग ज़िले के मट्टन नगर के समीप मार्तंड सूर्य मंदिर स्थित है। यह मंदिर 8वीं शताब्दी में कर्कोटा वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापिदा ने बनवाया था। मंदिर की वास्तुकला में गंधार, गुप्त, ग्रीक, रोमन और सीरियाई शैलियों का मिश्रण दिखता है। 15वीं शताब्दी में शासक सिकंदर बुतशिकन ने इसे नष्ट कर दिया था। हालांकि, इसके अवशेष आज भी इसकी भव्यता का एहसास कराते हैं। यह मंदिर कश्मीर के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों में से एक है।

कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)


यह मंदिर 9वीं शताब्दी में कत्युरी राजा कटारमल्ला ने बनवाया था। यह उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले में स्थित है। मुख्य मंदिर के चारों ओर 44 छोटे-छोटे मंदिर स्थित हैं। जिनमें, भगवान शिव, पार्वती, लक्ष्मीनारायण आदि की मूर्तियाँ हैं।
मंदिर चट्टानों से बने विशाल और भारी ब्लॉकों से निर्मित है। यह उत्तराखंड की कत्युरी वास्तुकला का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है।

........................................................................................................
राष्ट्रगान - जन गण मन (National Anthem - Jana Gana Mana)

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता,
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग,

वृश्चिक संक्रांति पर विशेष योग

हर संक्रांति में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे संक्रांति कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है

प्रभु श्रीराम की पूजा कैसे करें?

प्रभु श्रीराम हिंदू धर्म के आदर्श पुरुष और भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें रामचन्द्र, रघुकुलनायक, और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भी पूजा जाता है।

मेरी ज़िन्दगी सवर जाए (Meri Zindagi Sanwar Jaye)

मेरी ज़िन्दगी सवर जाए,
अगर तुम मिलने आ जाओ,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।