Surya Grahan Katha: समुद्र मंथन से जुड़ा है सूर्यग्रहण का रहस्य, जानें पौराणिक कथा और मान्यताएं
सूर्यग्रहण.... एक सुंदर और अद्भुत खगोलीय घटना है, जब ब्रह्मांड एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती, तो आकाश में एक रहस्यमयी छाया बन जाती है, जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह घटना सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि हमारे धार्मिक और पौराणिक कथाओं से भी जुड़ी हुई है। खासतौर पर समुद्र मंथन की कथा में इसका दिलचस्प संबंध बताया गया है, जिसमें राहु और केतु की रहस्यमयी भूमिका सामने आती है। आइए इस सूर्यग्रहण के साथ इस पौराणिक कथा को और करीब से समझते हैं।
समुद्र मंथन से जुड़ी सूर्यग्रहण की कहानी
प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, जिससे कुल 14 अनमोल रत्नों के साथ अमृत कलश भी प्राप्त हुआ। अमृत को लेकर देवताओं और असुरों के बीच भारी संघर्ष शुरू हो गया। कभी देवता अमृत कलश को लेकर भागते तो कभी दैत्य। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अमृत बांटने की जिम्मेदारी स्वयं ली। मोहिनी रूप की सुंदरता देखकर सभी मोहित हो गए और उनकी योजना में फंस गए। भगवान विष्णु जानते थे कि अगर असुरों ने अमृत पी लिया तो वे अमर हो जाएंगे और सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। तभी एक चालाक असुर, स्वरभानु, देवता का वेश धारण कर अमृत पान करने बैठ गया, लेकिन उसकी यह चाल भी जल्द ही उजागर हो गई।
इस वजह से लगता है सूर्यग्रहण
स्वरभानु की चालाकी को चंद्रमा और सूर्य ने पहचान लिया और तुरंत यह बात भगवान विष्णु को बता दी। यह सुनकर विष्णु जी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक स्वरभानु अमृत की कुछ बूंदें पी चुका था, जिससे वह मरने के बजाय अमर हो गया। उसका सिर "राहु" और धड़ "केतु" के रूप में जाना गया। तभी से राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानने लगे और समय-समय पर इनके मार्ग में आकर उन्हें ढकने लगे। जब राहु और केतु सूर्य या चंद्रमा के सामने आ जाते हैं, तो यह खगोलीय घटना धार्मिक दृष्टि से "सूर्यग्रहण" और "चंद्र ग्रहण" कहलाती है। यही कथा समुद्र मंथन से जुड़े सूर्यग्रहण के पौराणिक रहस्य को दर्शाती है।
यहां प्रस्तुत जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और सामान्य जानकारी पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जनसामान्य को जानकारी प्रदान करना है। हम इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करते हैं।
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