स्कंद षष्ठी पारण विधि

स्कंद षष्ठी व्रत पर होती है कार्तिकेय भगवान की पूजा, जानें कैसे करें व्रत का पारण 


हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। स्कंद देव यानी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं। भगवान कार्तिकेय को कुमार, षण्मुख और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इस व्रत को करने से भगवान कार्तिकेय के साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती का भी आशीर्वाद मिलता है। 

भगवान कार्तिकेय युद्ध के देवता, शक्ति और विजय के प्रतीक हैं। यह व्रत शुभता, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। ज्योतिष का मानना है कि स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान सुख शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से बच्चों को सुख व लंबी आयु की प्राप्ति होती है। जो भी लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें इस व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। 

स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 04 जनवरी को देर रात 10 बजे शुरू होगी, जबकि इसकी समाप्ति अगले दिन यानी 05 जनवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 05 जनवरी, 2025 को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।

कैसे करें स्कंद षष्ठी व्रत पारण 


स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद करना सबसे उत्तम माना जाता है। व्रत पारण के बिना स्कंद षष्ठी की पूजा को संपन्न नहीं मानते हैं। सुबह स्नान करने के बाद भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करने के बाद व्रत का पारण करना शुभ होता है। पारण करने के बाद गरीब लोगों में अन्न धन और वस्त्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को मनचाहा कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

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मेरे साथ रहना श्याम(Mere Sath Rehna Shyam)

बाबा देखो मेरी ओर,
मैं हूँ अति कमजोर,

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर (Bhole Ke Hatho Mein Hai Bhakto Ki Dor)

भोले के हाथों में,
है भक्तो की डोर,

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ(Hey Shambhu Baba Mere Bhole Nath)

शिव नाम से है,
जगत में उजाला ।

आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी (Aai Bhagon Me Bahar Jhula Jhule Radha Rani)

आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी ।

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