हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान कार्तिकेय की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष स्कंद षष्ठी की तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत का महत्व और कथा क्या है…
तारीख: 3 फरवरी 2025 (सोमवार)
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 3 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 AM
षष्ठी तिथि समाप्त: 4 फरवरी 2025 को सुबह 4:37 AM
व्रत तिथि: उदया तिथि के अनुसार, व्रत 3 फरवरी को रखा जाएगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक असुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया था। वे संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख-समृद्धि के देवता माने जाते हैं। जो लोग विवाह या संतान सुख की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है।
ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।।
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
नारियल या श्रीफल हिंदू धर्म के सभी धार्मिक आयोजनों, अनुष्ठानों और पूजा पाठ की सामग्री का सबसे अहम हिस्सा है। कोई भी शुभ कार्य हो सबसे पहले नारियल चढ़ाने से ही उसका आरंभ किया जाता है।
पीपल का वृक्ष कितना पावन पवित्र और महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गीता में श्री कृष्ण ने स्वयं की तुलना वृक्षों में पीपल के साथ वृक्ष से की है।
भारत के पौराणिक, धार्मिक और प्राचीनतम तीर्थ स्थलों में बद्रीनाथ धाम मंदिर का स्थान बहुत ही खास है। इसे हिंदू धर्म के चार धामों में से सबसे बड़ा धाम माना गया है। इस चमत्कारी और दिव्य धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन को आते हैं।
प्राचीन काल से ही हिंदुओं के घर आंगन में तुलसी का पौधा उगाया जाता है। तुलसी का आयुर्वेदिक और धार्मिक महत्व हमारे वेदों पुराणों में वर्णित है। तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है।