शबरी जयंती पर इन चीजों का लगाएं भोग

Shabari Jayanti Bhog: शबरी जयंती पर भगवान राम को इन चीजों का लगाएं भोग, खुशहाल रहेगी जिंदगी


सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि अगर शबरी जयंती के दिन पूजा के समय भगवान राम को कुछ विशेष चीजों का भोग लगाएं तो जीवन खुशहाल रहता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान राम को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए।



कब है शबरी जयंती?


शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर मनाई जाती है। इस बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 19 फरवरी की सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 20 फरवरी की सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार शबरी जयंती 20 फरवरी को मनाई जाएगी।



शबरी जयंती के दिन भगवान राम को ये भोग लगाएं


  • शबरी जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
  • फिर साफ वस्त्र पहनें और मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • फिर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान राम और माता शबरी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • भगवान राम को धूप, दीप, गंध, फूल, अक्षत आदि अर्पित करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
  • भगवान राम को खीर बहुत प्रिय है इसलिए पूजा के समय खीर का भोग लगाएं।
  • पूजा के समय भगवान राम को रबड़ी का भोग लगाएं।
  • पूजा के समय भगवान राम को धनिया पंजीरी का भी भोग लगाएं।
  • पूजा के समय भगवान राम को शुद्ध खोए की मिठाई का भोग लगाएं।
  • शबरी जयंती के दिन भगवान राम को बेर का भोग लगाना बिल्कुल न भूलें।
  • अंत में भगवान राम की आरती करें।



करें इन मंत्रों का जप


श्री राम जय राम जय जय राम


श्री रामचन्द्राय नमः


राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने


|| नाम पहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ||


|| लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट ||



शबरी जयंती का महत्व


शबरी जयंती से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है, चाहे व्यक्ति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। माता शबरी की कथा यह संदेश देती है कि भगवान केवल प्रेम और भक्ति के भूखे हैं, और वे अपने भक्तों के सच्चे समर्पण को स्वीकार करते हैं।


........................................................................................................
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।

भोले की सवारी देखो आई रे (Bhole Ki Sawari Dekho Aayi Re)

बाबा की सवारी देखो आई रे,
भोले की सवारी देखो आई रे,

झंडा हनुमान का, सालासर धाम का: भजन (Jhanda Hanuman Ka Salasar Dham Ka)

संकट काटे पलभर में ये,
भक्तों सारे जहान का,

रविवार के व्रत कथा (Ravivaar Ke Vrat Katha)

रविवार व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।