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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के उपाय

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के उपाय

Sankashti Chaturthi Upay: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा में अर्पित करें ये चीजें, बप्पा देंगे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद


भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न समाप्त होते हैं और जीवन में शुभता आती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर किन चीजों का भोग लगाना चाहिए, पूजा विधि क्या है और कौन से उपाय विशेष लाभकारी होते हैं।



भोग में अर्पित करें ये चीजें


भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और गुड़ से बनी मिठाइयां अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए इस दिन विशेष रूप से मोतीचूर के लड्डू, तिल के लड्डू, गुड़, फल, और पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।



भोग लगाते समय करें इस मंत्र का जाप:


त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

 गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।



भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि


  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को शुद्ध करके गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करें।
  • भगवान गणेश को पुष्प, दूर्वा, चंदन, मोदक और लड्डू अर्पित करें।
  • “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • संकटनाशन गणेश स्तोत्र और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलें।

 


शुभ उपाय जो दिलाएंगे सफलता


  1. आर्थिक समस्या से मुक्ति: गन्ने के रस से भगवान गणेश का अभिषेक करें, इससे धन से जुड़ी परेशानियां समाप्त होती हैं।
  2. व्यापार और नौकरी में सफलता: दूर्वा अर्पित करें और "श्री गणाधिपतये नमः" मंत्र का जाप करें।
  3. मनोकामना पूर्ति: पूजा के दौरान भगवान गणेश को 5 हल्दी की गांठ अर्पित करें, इससे सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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कुंभ और अखाड़ों का क्या संबंध है?

कुंभ मेला भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है। हर 12 साल में होने वाले इस आयोजन का मुख्य आकर्षण साधु संतों के अखाड़े होते हैं। अखाड़े हिंदू धर्म के प्रमुख संगठन , जो सनातन के प्रचार-प्रसार का काम करते है।

प्रयागराज के संगम तट पर स्नान के फायदे

प्रयागराज हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है। महादेव की इस पावन नगरी में 12 जनवरी से 26 फरवरी के बीच कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है। देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां के संगम घाट पर स्नान करने पहुचेंगे। यह घाट करोड़ों श्रद्धालुओं को सबसे बड़ा आस्था का केंद्र है।

प्रयागराज के सुंदर घाट

प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी से कुंभ मेला का आयोजन होने वाला है। इसके लिए तैयारियां जोरों- शोरों से चल रही है। हिंदू धर्म के मुताबिक कुंभ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हाथ में कलावा क्यों बांधते हैं?

कलावा, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, एक पवित्र धागा है जो विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर सूती धागे से बनाया जाता है और इसे लाल, पीला या अन्य शुभ रंगों में रंगा जाता है।

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