सकट चौथ पर चांद की पूजा क्यों होती है

सकट चौथ पर क्यों होती है चांद की पूजा? जानें इस दिन चांद को अर्घ्य देने का महत्व


हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माताओं द्वारा व्रत करने से संतान के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 2025 में, सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण किया जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि सकट चौथ पर चांद की पूजा क्यों होती है और इस दिन चांद को अर्घ्य देने का क्या महत्व है। 


जानिए क्यों की जाती है चंद्रमा की पूजा?


धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोग होने की कामना करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सकट चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। चांदी के बर्तन में पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। संध्याकाल में चंद्रमा को अर्घ्य देना काफी लाभदायक होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार और दुर्भावना से निजात मिलती है और साथ ही सेहत को लाभ मिलता है। इसलिए सकट चौथ पर गणेश जी की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और पूजा की जाती है।


किसके लिए रखा जाता है सकट चौथ का व्रत?


मान्यता है कि इस दिन गणपति ने देवताओं का संकट दूर किया था इसलिए इस दिन को सकट चौथ कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के साथ सकट माता की भी पूजा की जाती है। सकट चौथ पर महिलाएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामनी करती हैं। इस दिन प्रसाद में तिलकुटा बनाने का विधान बताया गया है।


इस दिन तिल का लगाएं भोग   


गणपति जी को भोग के रूप में तिल और तिल से बनी चीजों का प्रसाद चढ़ा सकते हैं। सकट चौथ के दिन श्रद्धा पूर्वक गणपति की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भक्त गणेश चालीसा का पाठ और आरती करते हैं। ऐसा करने से विघ्नहर्ता गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनचाही इच्छी पूरी करते हैं।


सकट चौथ पूजा विधि


  1. संकट चौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को जल का अर्घ्य दें।
  2. इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से स्वच्छ कर और दैनिक पूजा करें।
  3. फिर दाएं हाथ में जल लेकर उसमें सिक्का, पूजा की सुपारी, अक्षत और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें।
  4. साधक जिस कार्य के लिए व्रत कर रहे हैं, उसका मन में ध्यान करें।
  5. अब भगवान गणेश का श्रृद्धा पूर्वक पूजन करें।
  6. इसके बाद, गणेश जी और माता लक्ष्मी को रोली और अक्षत लगाएं और पुष्प, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
  7. सकट चौथ में तिल का विशेष महत्व है। इसलिए भगवान गणेश को तिल के लड्डू का भोग जरूर लगाएं।
  8. ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें।
  9. अंत में सकट चौथ व्रत की कथा सुनें और आरती करें।
  10. रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर सकट चौथ व्रत का पारण करें।


........................................................................................................
Hey Bhole Baba Hey Bhandari (हे भोले बाबा हे भंडारी)

हे भोले बाबा हे भंडारी,
नाम जपूँ तेरा,

यह तो प्रेम की बात है उधो (Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)

यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।

अवध में छाई खुशी की बेला (Avadh Me Chhai Khushi Ki Bela)

अवध में छाई खुशी की बेला,
​अवध में छाई खुशी की बेला,

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।