नवीनतम लेख
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और इसे पूजा, पाठ और दान के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन स्नान और दान से पुण्य फल मिलता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। पंचांग के अनुसार 2024 में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इस अवसर पर भक्तगण भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा करेंगे। इस दिन के शुभ मुहूर्त और अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो धार्मिक अनुष्ठानों, दान और स्नान के प्रति श्रद्धा रखते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन से समृद्धि और खुशहाली घर आती है। इस दिन स्नान और दान करना पुण्यकारी माना जाता है और जो लोग इस दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करते हैं उनके जीवन में शांति और संतोष का वास होता है।
पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का आरंभ 15 नवंबर को सुबह 06:19 बजे से होगा और इसका समापन अगले दिन 16 नवंबर को रात 02:58 बजे पर होगा। उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाएगा।
वैदिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 04:58 बजे से लेकर सुबह 05:51 बजे तक रहेगा। इस समय पर किया गया स्नान और दान पुण्यकारी होता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह 06:44 बजे से लेकर 10:45 बजे तक का समय सत्यनारायण पूजा के लिए शुभ माना गया है। इस पूजा में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, जिससे भक्तों के जीवन में खुशहाली और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 04:51 बजे है। भक्तगण इस समय चंद्र देव की पूजा करते हैं जो कि कार्तिक पूर्णिमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति और प्रसन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव के मंत्रों का जाप विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
मां लक्ष्मी के लिए मंत्र:-
"ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।
"ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।"
भगवान विष्णु के लिए मंत्र:-
"शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।" "ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।"
इस दिन भक्तजन सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं तत्पश्चात वे पूजा स्थल को स्वच्छ करते हैं और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की मूर्तियों की पूजा करते हैं। सत्यनारायण भगवान की पूजा में विशेष प्रकार के प्रसाद और फलों का भोग लगाया जाता है। चंद्रोदय के समय भक्तगण चंद्र देव का पूजन करते हैं और उनसे सुख-शांति का आशीर्वाद मांगते हैं।
दान-पुण्य को कार्तिक पूर्णिमा का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन और अन्य जरूरत की वस्तुओं का दान करना अत्यधिक पुण्यकारी माना गया है। जो लोग इस दिन गरीब और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं उन्हें विशेष पुण्य का लाभ प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हर साल भक्तों को धार्मिक अनुष्ठानों और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति आस्था का परिचय कराता है। यह दिन जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।