रंग पंचमी पर करें राधा रानी चालीसा का पाठ, रिश्तों में आएगी मिठास
रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से राधा चालीसा का पाठ करता है, उसे प्रेम, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। राधा-कृष्ण की भक्ति से मन को शुद्धता और शांति मिलती है, जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
राधा चालीसा का महत्व
राधा चालीसा का पाठ करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ाने में भी सहायक होता है। जो लोग अपने जीवन में सच्चा प्रेम पाना चाहते हैं या रिश्तों में मधुरता लाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन राधा चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा, इस चालीसा के पाठ से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
राधा चालीसा का पाठ करने की विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- राधा-कृष्ण के चित्र या मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- गुलाल और पुष्प अर्पित कर राधा रानी का ध्यान करें।
- चालीसा का श्रद्धापूर्वक पाठ करें और मन ही मन श्रीकृष्ण का ध्यान करें।
- पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें और भगवान को भोग अर्पित करें।
श्री राधा चालीसा
।। दोहा ।।
श्री राधे वृषभानुजा, भक्तन प्राण अधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रणवौं बारंबार ॥
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिए, सुन्दर सुखद ललाम ॥
।। चौपाई ।।
जय वृषभानु नंदिनी रानी,
श्यामा रूप, कीर्ति विधानी ॥
नित्य बिहारी, रस की धारा,
अमित मोद मंगल की कारा ॥ 1 ॥
राम विलासिनी, प्रेम दायिनी,
संग सहचरी, मन भाविनी ॥
करुणा सागर, हिय उमंगिनी,
ललिता संग सखियन संगिनी ॥ 2 ॥
दिनकर कन्या, कुल विहारिणी,
कृष्ण प्राण प्रिय, हिय हुलसावनी ॥
श्याम गुण गावै, नित्य तुम्हारा,
राधा-राधा कहै निरंतर ॥ 3 ॥
मुरली में नित नाम उचारे,
रास रचाए ब्रज में प्यारे ॥
प्रेम स्वरूपिणी, अति सुकुमारी,
श्याम प्रिया, वृषभानु दुलारी ॥ 4 ॥
नवल किशोरी, अति छवि धामा,
रति काम कोटि, रूप लजामा ॥
गौरांगी, शशि निंदा करि,
सुभग चपल, अनियारे नयना ॥ 5 ॥
जवाक युत, युग पंकज चरणा,
नूपुर ध्वनि, मन हरनी ॥
संग सहचरी, सेवा करहीं,
मोद मंगल, मन भरहीं ॥ 6 ॥
रसिक जीवन, प्राण अधारा,
राधा नाम, सकल सुख सारा ॥
अगम अगोचर, नित्य स्वरूपा,
ध्यान धरत, निशिदिन ब्रज भूषा ॥ 7 ॥
जिनके अंश, गुण की खानि,
कोटि उमा, राम ब्रह्माणी ॥
नित्य धाम, गोलोक विहारी,
दुख दोष हर, भक्त उबारी ॥ 8 ॥
शिव, अज, मुनि, सनकादिक नारद,
पार न पावें, शेष शारद ॥
राधा शुभ, गुण रूप उजारी,
निरखि हर्षित, होत बनवारी ॥ 9 ॥
ब्रज जीवन धन, राधा रानी,
महिमा अमित, न जाय बखानी ॥
प्रियतम संग, गलबहिं डाले,
वृंदावन में, नित्य विहारें ॥ 10 ॥
राधा-कृष्ण, कृष्ण कहे राधा,
एक रूप, प्रीति अगाधा ॥
श्री राधा, मोहन मनहरनी,
जन सुखद, प्रफुल्लित बदनी ॥ 11 ॥
कोटिक रूप, धरे नंदलाला,
दर्शन हेतु, आए गोकुल बाला ॥
रास रचाए, कृष्ण को रिझावे,
मन दुख हर, प्रेम बढ़ावे ॥ 12 ॥
प्रफुल्लित होत, जब दर्शन पावें,
विविध भांति, नित्य विनय सुनावें ॥
वृंदारण्य, विहारिणी श्यामा,
नाम जपे, पूरण सब कामा ॥ 13 ॥
कोटिन यज्ञ, तपस्या करहु,
विविध नेम, व्रतहि धरहु ॥
तब भी श्याम, मिलें न कोई,
जब तक राधा, नाम न होई ॥ 14 ॥
वृंदाविपिन, स्वामिनी राधा,
लीला रूप, अमित अगाधा ॥
स्वयं कृष्ण, पावें न पारा,
और तुम्हें, को जाने हारा ॥ 15 ॥
श्री राधा, रस प्रीति अनोखी,
वेद करें, गान निरंतर ॥
राधा त्यागे, कृष्ण को भजिहैं,
ते सपने में भी, भवसागर न तरिहैं ॥ 16 ॥
कीर्ति हमारी, ललिता राधा,
स्मरण करें, मिटे भव बाधा ॥
नाम अमंगल, मूल नसावन,
त्रिविध ताप, हरें मन भावन ॥ 17 ॥
राधा नाम, परम सुखदाई,
भजत ही कृपा, करें गिरिधारी ॥
यशुमति नंदन, पीछे फिरैहैं,
जो कोई राधा, नाम जपैहैं ॥ 18 ॥
रास बिहारी, श्यामा प्यारी,
करहु कृपा, बरसाने वारी ॥
वृंदावन की, शरण हमारी,
जय जय जय, वृषभानु दुलारी ॥ 19 ॥
।। दोहा ।।
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहुं निरंतर वास मैं, श्री वृंदावन धाम ॥
राधा चालीसा का पाठ करने से होने वाले लाभ
- जीवन में प्रेम और सद्भावना बढ़ती है।
- वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर होती हैं।
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