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सनातन में पुष्कर स्नान का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। पुष्कर सरोवर को प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक माना जाता है जिसमें स्नान से विशेष पुण्य फल प्राप्त होते हैं। कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी से पुष्कर मेला शुरू होता है। जो पांच दिनों तक चलता है और कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहता है। इस अवधि में पुष्कर सरोवर में स्नान करना पवित्र एवं लाभकारी माना जाता है, विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का महत्व और भी अधिक होता है। इस लेख में हम 2024 के पुष्कर स्नान के समय, विधि और महत्व बता रहे हैं।
इस साल पुष्कर का अति विशिष्ट स्नान कार्तिक मास की पूर्णिमा यानी 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को किया जाएगा। यह स्नान देवउठनी एकादशी से शुरू हो जाता है जिसमें श्रद्धालु लगातार 05 दिनों तक स्नान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में स्नान से विशेष पुण्य फल प्राप्त होते हैं और यह पुष्कर राजा का आशीर्वाद पाने का एक अनूठा अवसर माना जाता है।
पुष्कर स्नान के दौरान धार्मिक विधि का पालन करना शुभ माना गया है। स्नान की विधि इस प्रकार है।
बता दें कि पुष्कर स्नान राजस्थान के पुष्कर में स्थित पवित्र सरोवर में किया जाता है। यह सरोवर पूरे भारत के श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर इस सरोवर में स्नान का विशेष महत्व होता है और इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। पुष्कर मेले के दौरान भगवान ब्रह्मा के मंदिर में उनके विशेष श्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना भी होती है। प्रत्येक सुबह ब्रह्मा मंदिर में महाआरती होती है और 101 किलो मेवों का भोग चढ़ाया जाता है। इस समय में सरोवर में स्नान के बाद ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करना भी विशेष फलदायी माना गया है।
हिंदू धर्म में पुष्कर स्नान का महत्व अत्यधिक है। ऐसी मान्यता है कि पुष्कर सरोवर में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और साधक मन की शुद्धता प्राप्त करते हैं। इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है और यह कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा पर इस सरोवर में स्नान से समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है और दान-पुण्य से मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
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