प्रदोष व्रत के फायदे

प्रदोष व्रत रखने के फायदे जानकर चौंक जाएंगे आप, इस व्रत से होगा लाभ ही लाभ 


प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए, इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए भी ये व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में 
प्रदोष व्रत रखने के फायदे और साधक को होने वाले लाभ के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 

इस व्रत से जीवन के पापों का होता है नाश


प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव की कृपा प्रदान करने वाला होता है। प्रदोष व्रत रखकर प्रदोष काल में महादेव की पूजा करने का विधान है। प्रदोष व्रत करने से जन्म-जन्मान्तर के चक्र से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ता है, इसके साथ ही जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते है। प्रदोष व्रत अन्य दूसरे व्रतों से अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता है इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवनकाल में किये गए सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत रखने का पुण्य दो गाय दान करने जितना होता है।

जानिए प्रदोष व्रत का महत्व


प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूत जी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था। उन्होंने कहा था कि कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे। उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा। सबसे पहले इस व्रत के महत्व के बारे में भगवान शिव ने माता सती को बताया था। इसके बाद सूतजी को इस व्रत के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया, तब सूतजी ने इस व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषियों को बताया था।

कैसे किया जाता है ये व्रत?

 
इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है। प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें। संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार प्रदोषम व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।

जानिए प्रदोष व्रत से होने वाले लाभ


  1. एकादशी और प्रदोष दोनों ही तिथियां चंद्र से संबंधित है। जोभी व्यक्ति दोनों में से एक या दोनों ही तिथियों पर व्रत रखकर मात्र फलाहार का ही सेवन करना है उसका चंद्र कैसा भी खराब हो वह सुधरने लगता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। ऐसी दशा में एकादशी या प्रदोष का ठीक से व्रत रखने पर चंद्रमा के खराब प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।
  2. माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। इस तरह तीन ग्रह शुभ फल देने लगते हैं। चंद्र से धन समृद्धि बढ़ती है, शुक्र से स्त्री सुख और ऐश्वर्य बढ़ता है तो बुध से नौकरी एवं व्यापार में लाभ मिलता है।
  3. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस व्रत को अच्छे से रखने से भाग्य जागृत हो जाता है।
  4. पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी या प्रदोष का व्रत करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।

........................................................................................................
मेरे घर राम आये है (Mere Ghar Ram Aaye Hai)

मेरी चौखट पे चलके आज,
चारों धाम आए है,

बेगा सा पधारो जी, सभा में म्हारे आओ गणराज (Bega Sa Padharo Ji Sabha Mein Mhare Aao Ganraj)

बेगा सा पधारो जी,
सभा में म्हारे आओ गणराज,

गुरुवायुर एकादशी मंदिर की पौराणिक कथा

"दक्षिण का स्वर्ग" कहे जाने वाले अतिसुन्दर राज्य केरल में गुरुवायुर एकादशी का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गुरुवायुर कृष्ण मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

श्री झूलेलाल चालीसा (Shri Jhulelal Chalisa)

जय जय जल देवता,जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरो लाल जय,झुलेलाल अनूप ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।