Pitru Suktam Path: चैत्र अमावस्या पर करें पितृ सूक्त पाठ, इससे प्राप्त होगा सुख और शांति
हिंदू धर्म में चैत्र मास की अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। यह दिन पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण करने के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितृ सूक्त का पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और भरपूर आशीर्वाद देते हैं, जिससे किसी भी कार्य में बाधा नहीं आती है।
पितृ सूक्त पाठ की व्याख्या
पितृ सूक्त एक प्राचीन आध्यात्मिक स्तोत्र है, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है। इस पाठ के द्वारा पितरों को श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया जाता है। इसलिए यह पाठ पढ़ने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृदोष का निवारण मिलता है।
जानिए चैत्र अमावस्या पर पितृ सूक्त का पाठ क्यों है महत्वपूर्ण
शास्त्रों के अनुसार, चैत्र अमावस्या को पितृ पूजन और तर्पण के लिए खास समय माना गया है। इस दिन पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और पूजा की अपेक्षा करते हैं। इसलिए पितृ सूक्त पढ़ने का यह शुभ समय होता है, क्योंकि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस आशीर्वाद से उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, और संतान सुख प्राप्त होता है।
पितृ सूक्त पाठ विधि
- चैत्र अमावस्या के दिन सुबह उठकर गंगा नदी या नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- घर के मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर बैठकर हाथ जोड़कर पितरों का स्मरण करें।
- एक तांबे के लोटे में सादा जल, गंगाजल और काले तिल डालकर पितरों को अर्पित करें।
- पितृ सूक्त पाठ का शुद्ध उच्चारण कर अच्छे मन और श्रद्धा से पढ़ें।
- पितृ सूक्त पाठ करने के बाद मंदिर में या गरीबों को पितृ का नाम लेकर अनाज, कपड़े और दक्षिणा दान करें। साथ ही ब्राह्मणों और गरीबों को शुद्ध-शाकाहारी भोजन कराएं।
- आप चाहें तो इस दिन पितृ सूक्त पाठ करके पिंडदान भी कर सकते हैं, इससे सौभाग्य, सुख और शांति बनी रहती है।
इस दिन पितृ सूक्त का पाठ विधिपूर्वक करने से न सिर्फ पितृदोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही हमारे जीवन में सुख और शांति बनी रहती है और इससे संतान सुख भी प्राप्त होता है।
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