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पौष में सूर्यदेव की पूजा क्यों होती है

पौष में सूर्यदेव की पूजा क्यों होती है

Paush Month 2024: पौष मास में क्यों पूजे जाते हैं सूर्यदेव? जानें इस महीने में किए जाने वाले शुभ कार्य 


पौष मास हिंदू पंचांग का दसवां महीना है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह महीना 13 जनवरी तक रहेगा, जिसके बाद माघ महीने की शुरुआत होगी। इस अवधि में भगवान सूर्य और भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विशेष विधान है। पौष मास न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है, बल्कि स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के दृष्टिकोण से भी इसकी अपनी महत्ता है।

क्यों की जाती है पौष में सूर्यदेव की पूजा?


पौष मास में भगवान सूर्य की आराधना करना बेहद शुभ माना गया है। यह महीना सर्दियों में आता है। ऐसे में इस दौरान सुबह की धूप लेना स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और विटामिन डी की पूर्ति करती हैं। इसी कारण हिंदू धर्म में इस महीने भगवान सूर्य की पूजा का विधान है।

सकारात्मक ऊर्जा देता है सूर्य पूजन 


हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, पौष मास में भगवान सूर्य की पूजा करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है। बल्कि, इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। साथ ही, इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है। यह महीना श्री हरि विष्णु की भक्ति के लिए आदर्श समय माना गया है।

पौष मास में जरूर करें ये कार्य 


पौष मास के दौरान कुछ विशेष कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ये कार्य आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं। साथ ही सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी कई सकारात्मक बदलाव लाते हैं जो इस प्रकार हैं। 

  • पवित्र नदियों में स्नान:- गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
  • भगवान सूर्य को दें अर्घ्य:- प्रतिदिन सुबह सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। अर्घ्य के साथ भगवान सूर्य के मंत्रों का जप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा:- दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिले दूध से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के बाद साफ जल चढ़ाना और वस्त्र व आभूषण पहनाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए।
  • इस मंत्र का करें जाप:- पूजा के दौरान ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके उपरांत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाकर उनकी आरती करनी चाहिए।
  • श्रीमद्भागवत गीता का पाठ:- इस महीने में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है। गीता के पाठ के साथ-साथ भगवान विष्णु के अवतारों की कथाएं सुनना या पढ़ना चाहिए।
  • दान-पुण्य के कार्य:- पौष मास में दान का विशेष महत्व है। अन्न, गर्म कपड़े, जूते-चप्पल, धन, भोजन, गुड़ और काले तिल दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

जानें पौष मास का स्वास्थ्य पर प्रभाव


सर्दियों के इस महीने में पौष्टिक आहार और सूर्य की धूप से शरीर को ऊर्जा और इम्यूनिटी मिलती है। साथ ही, धार्मिक और सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज में सामूहिकता और समृद्धि का वातावरण बनता है।


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