पापमोचनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत, पूजा और उपाय करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पापमोचनी एकादशी पर किए गए उपवास, दान-पुण्य, पूजा और उपायों से मनुष्य के समस्त पाप ख़त्म हो जाते हैं। इस व्रत से केवल मोक्ष की प्राप्ति ही नहीं होती, बल्कि सांसारिक और शादी-शुदा जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। जो मनुष्य श्रद्धा से इस व्रत पर इन उपायों को करता है, वह जीवन के हर मुश्किल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। युवाओं और विद्यार्थियों को यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिए, क्योंकि युवावस्था में वे अनजाने में और कभी-कभी जानबूझकर गलतियां कर बैठते हैं, ऐसे में यह पर्व उन्हें पाप मुक्त होने में मदद करता है।
प्राणो से भी प्यारा,
दादी धाम तुम्हारा,
सनातन धर्म में तुलसी का खास महत्व है। तुलसी को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए, बिना तुलसी के श्रीहरि की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। सभी घरों में सुबह-शाम तुलसी पूजा की जाती है।
15 दिसंबर से खरमास शुरू होने वाला है। इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी मांगलिक कार्य जैसे:- शादी-विवाह, गृह प्रवेश या फिर मांगलिक संस्कार नहीं किए जाते ।
सनातन धर्म में खरमास को विशेष महत्व बताया गया है। यह एक ऐसा समय होता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में रहते हैं जिसमें मांगलिक कार्य पर रोक रहती है। इस साल खरमास रविवार, 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी, 2025 को समाप्त होगा।