नवीनतम लेख
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में यह पर्व 26 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा और आराधना करते हैं तथा उनके लिए विशेष पूजन और अनुष्ठान आयोजित करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजन और अभिषेक किया जाता है और भगवान शिव को विशेष भोग और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जप करना विशेष फलदायक माना जाता है। यह मंत्र भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव का प्रतीक है और इसका जप करने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा और आराधना करने के साथ-साथ अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए भी प्रयास करते हैं। यह त्योहार हमें भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव की याद दिलाता है और हमें अपने जीवन में उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन और अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाना, रुद्राक्ष की माला से "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करना और भगवान शिव को विशेष भोग और प्रसाद चढ़ाना शामिल है। आइए जानते हैं शिव के पंचाक्षर मंत्र का रहस्य क्या है? साथ ही जानेंगे इसके प्रभाव और शक्ति के बारे में।
शास्त्रों में वर्णित मंत्रों की शक्ति और चमत्कारिक प्रभाव के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। इनमें से एक सबसे शक्तिशाली मंत्र है "ॐ नमः शिवाय", जो भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वमान्य है। इस मंत्र का अर्थ है "भगवान शिव को मेरा नमन है"। शिव पुराण में इस मंत्र को शरणाक्षर मंत्र भी कहा गया है। यह मंत्र पंचतत्वों के सामंजस्य के लिए जप किया जाता है, जो हमारे जीवन को संतुलित और शांत बनाने में मदद करता है।
"ॐ" का अर्थ है ब्रह्मांड की ध्वनि, जो शांति और प्रेम का प्रतीक है। जब हम "ॐ नमः शिवाय" का जप करते हैं, तो हम भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव को अपने जीवन में आमंत्रित करते हैं। शिवपुराण में कहा गया है कि "ॐ नमः शिवाय" का जप करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह मंत्र हमें सृष्टि के पांचों तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश - को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान करता है। इसलिए जब भी आप अपने जीवन में समस्याओं का सामना करें तो "ॐ नमः शिवाय" का जप करना न भूलें। यह मंत्र आपको शांति, सुख और समृद्धि की ओर ले जाएगा।
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित पंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का महत्व और शक्ति अतुलनीय है। यह मंत्र भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए सर्वमान्य है और इसके जप से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस मंत्र की पंच ध्वनियाँ - "न", "मः", "शि", "वा" और "य" - सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश हैं, जिनसे संपूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है।
स्कंदपुराण में कहा गया है कि "ॐ नमः शिवाय" महामंत्र जिसके मन में वास करता है, उसके लिए बहुत से मंत्र, तीर्थ, तप व यज्ञों की क्या जरूरत है। यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है, पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक, परलौकिक सुख देने वाला है। धर्मग्रंथों के अनुसार, "ॐ नमः शिवाय" के जप से भगवान शिव की असीम कृपा बरसने लगती है तथा सभी दुःख और सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह मंत्र हमें भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव को अपने जीवन में आमंत्रित करने का एक शक्तिशाली माध्यम प्रदान करता है।
वेद पुराणों में "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करने का कोई खास समय निर्धारित नहीं है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली है कि इसे जब चाहे तब जप किया जा सकता है। भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप इस मंत्र का जप सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों समय कर सकते हैं। सूर्योदय के समय जप करने से नए दिन की शुरुआत में भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जबकि सूर्यास्त के समय जप करने से दिनभर की थकान और तनाव दूर होता है और भगवान शिव की शांति और सुख की अनुभूति होती है।
शास्त्रों के अनुसार, "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जप करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए:
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।