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हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी को अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों के महत्व को भी दर्शाता है। सही विधि-विधान और नियमों का पालन करने से व्रती को सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है “मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी” इसे जीवन के समस्त बंधनों से मुक्ति पाने और आत्मा की शुद्धि का दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है, लेकिन मोक्षदा एकादशी का विशेष स्थान है। क्योंकि, यह व्रत व्यक्ति को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं और उन्हें उनके पापों से मुक्त करते हैं। इस दिन व्रत रखने और गीता पाठ करने से व्यक्ति को पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और पूजा की तैयारी करनी चाहिए। पूजा के दौरान निम्न विधि अपनाएं।
मोक्षदा एकादशी ना केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का दिन है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। भगवद्गीता का पाठ इस दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के कठिन प्रश्नों का समाधान दिया था। गीता के उपदेश हर व्यक्ति को जीवन के सत्य को समझने और मोक्ष प्राप्ति की राह दिखाने में सहायक होते हैं।
मोक्षदा एकादशी आध्यात्मिक जागृति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना और भगवद्गीता के पाठ के लिए समर्पित है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पूर्वजों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है। सही नियमों और विधि-विधान के साथ इस व्रत का पालन करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।
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