मेष संक्रांति 2025 कब है

Mesh Sankranti 2025: मेष संक्रांति कब है, यहां जानें सही तिथि और पूजा करने की संपूर्ण विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। एक वर्ष में कुल 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इन सभी में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है। यह संक्रांति तब आती है जब सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है। इसी के साथ सिख नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है।14 अप्रैल सोमवार को है मेष संक्रांति 

इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह 3:30 बजे मेष राशि में प्रवेश करेंगे और सुबह 05:57 से 08:05 तक पूजा-अर्चना का शुभ समय रहेगा। सिख कैलेंडर के अनुसार, इस दिन सिख नए वर्ष की शुरुआत होती है। यह दिन स्नान, दान और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, इस शुभ दिन पर किए गए सभी धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।

मेष संक्रांति जीवन लाती है में नयापन

मेष संक्रांति को धर्म, पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही दिन बड़े होने लगते हैं, और वातावरण में नई ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए इस दिन को जीवन में सकारात्मकता, नयापन और शांति लाने वाला पर्व भी माना जाता है। 

मेष संक्रांति पर सत्तू और गुड़ खाने का महत्व 

इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना, या नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 

  • मेष संक्रांति पर दान करना बहुत फलदायक माना गया है। इस दिन अन्न, वस्त्र, जल, फल, चना, गुड़, सत्तू, तांबे के बर्तन, घी और धन का दान विशेष तौर पर करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देने से दोषों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन सत्तू और गुड़ का सेवन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चना और उसका सत्तू सूर्य, मंगल और गुरु ग्रहों से संबंधित है, इसलिए इनका सेवन करने से इन ग्रहों की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति के साथ भी समृद्धि आती है।

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गौरी गणेश मनाऊँ आज सुध लीजे हमारी (Gauri Ganesh Manau Aaj Sudh Lije Hamari)

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लट्ठमार होली कैसे खेली जाती है

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माघ गुप्त नवरात्रि के उपाय

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श्री सरस्वती मैया की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

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