हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। एक वर्ष में कुल 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इन सभी में मेष संक्रांति का विशेष महत्व है। यह संक्रांति तब आती है जब सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है। इसी के साथ सिख नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है।14 अप्रैल सोमवार को है मेष संक्रांति
इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य सुबह 3:30 बजे मेष राशि में प्रवेश करेंगे और सुबह 05:57 से 08:05 तक पूजा-अर्चना का शुभ समय रहेगा। सिख कैलेंडर के अनुसार, इस दिन सिख नए वर्ष की शुरुआत होती है। यह दिन स्नान, दान और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, इस शुभ दिन पर किए गए सभी धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
मेष संक्रांति को धर्म, पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही दिन बड़े होने लगते हैं, और वातावरण में नई ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए इस दिन को जीवन में सकारात्मकता, नयापन और शांति लाने वाला पर्व भी माना जाता है।
इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना, या नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोवर्धन महाराज की नाभि पर दीपक जलाते हैं। इस प्रथा के पीछे भगवान कृष्ण से जुड़ी एक रोचक कथा है।
भाई दूज का पर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव का अंतिम दिन है। जिसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई का तिलक करती हैं, यमराज की पूजा करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।
माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ है। इन्हें देवताओं के मुख्य लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है।