मई के महीने में प्रकृति अपने चरम पर होती है। पेड़-पौधों पर नए पत्ते आते हैं, फूल खिलते हैं और हर तरफ हरियाली दिखाई देती है। यह समय प्रकृति की सुंदरता को निहारने और उसकी सुंदरता का आनंद लेने का है। मई के महीने में कई प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं, जो आस्था और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। यह समय लोगों को एक साथ लाने और उनकी आस्था और उत्साह को बढ़ाने का है।
मई माह में गंगा सप्तमी मनाई जाएगी, जो मां गंगा की उपासना के लिए समर्पित एक विशेष दिन है। इसे हम गंगा जयंती के रूप में भी मनाते हैं। इसके अलावा 10 महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या को मां बगलामुखी की जयंती भी मई माह में मनाई जाएगी। इसी माह में सुहागिनों का एक प्रमुख व्रत- 'वट सावित्री व्रत' भी पड़ना वाला है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार सावित्री ने मृत्यु के देवता भगवान यम को भ्रमित कर उन्हें अपने पति सत्यवान के प्राण को लौटाने पर विवश किया था। इसीलिये विवाहित स्त्रियां अपने पति की सकुशलता एवं दीर्घायु की कामना से वट सावित्री व्रत का पालन करती हैं।
इसके अलावा हमारे देश में माने जाने वाले विभिन्न धर्मों में से 'बौद्ध धर्म' का भी एक महत्वपूर्ण पर्व बुद्ध पूर्णिमा भी मई माह में मनाया जाएगा। नारद जी के जन्म के अवसर पर मनाई जाने वाली नारद जयंती भी मई के महीने में ही मनाई जाएगी। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। मई माह में शनि जयंती भी मनाई जाएगी। माना जाता है इस दिन शनि अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। शनि की साढ़े साती, ढैय्या या शनि की महादशा से गुजर रहे भक्तों के लिए यह दिन विशेष फल देने वाला है। आइए, भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से मई में पड़ने वाले व्रत और त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर रोहिणी नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
हिंदू धर्म में पांच विशेष दिन माने गए हैं जिन्हें अबुझ मुहूर्त कहा जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किया जा सकता है। हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व है। खासकर विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए।
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर महीने में एक ऐसा समय आता है जो अशुभ माना जाता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं पंचक काल के बारे में, जो हर महीने में आता है। इसकी अवधि 5 दिनों की होती है, जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए।
हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है, जो एक महीने की अवधि के लिए अशुभ माना जाता है। इस दौरान विवाह समेत किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।