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मत्स्य द्वादशी पर सही तरीके से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मत्स्य द्वादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है, जो इस बार 12 दिसंबर को है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतरित होकर दैत्य हयग्रीव का संहार कर वेदों की रक्षा की थी। यही वजह है कि हिंदू धर्म में मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन के हर कार्य में सफलता मिलती है।
पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 12 दिसंबर 2024 को प्रात: काल 1 बजकर 09 मिनट से हो रहा है जो अगले दिन 12 दिसंबर 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट तक जारी रहेगी। उदयातिथि के अनुसार साल 2024 में 12 दिसंबर को मत्स्य द्वादशी मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा। वहीं व्रत का पारण 13 दिसंबर को किया जाएगा।
सामग्री:
पूजा विधि:
मंत्र:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय""ॐ श्री विष्णवे नमः""ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः"
"विष्णु सहस्रनाम" का पाठ करें।
नोट: मत्स्य द्वादशी पर पर नदियों और जलाशयों पर मछलियों आटे की गोली खिलाने से भी बहुत पुण्य प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, जो भी ऐसा करता है उसकी कुंडली के तमाम दोष कट जाते हैं।
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