नवीनतम लेख
हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण किया जाता है ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले। दर्श अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए लोग व्रत भी रखते हैं। साथ ही इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से हर इच्छा पूर्ण होती है, और घरों में दीप जलाने से अंधकार दूर होता है।
मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस मास की अमावस्या तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दो दिन रहेगी। दीपावली के बाद ये पहली अमावस्या रहती है, इसलिए इस दिन श्रद्धालु दान-पुण्य और नदी स्नान खासतौर पर करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं नवंबर माह में दर्श अमावस्या किस तारीख को है? साथ ही जानेंगे इस दिन के शुभ मुहूर्त के बारे में।
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि के शुरुआत 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी। जो 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में आइये जानते हैं किस तारीख को पितरों के लिए धूप-ध्यान करना है और किस तारीख को स्नान दान।
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 30 नवंबर की सुबह शुरू हो जाएगी। इसलिए इसी दिन पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना ज्यादा श्रेष्ठ रहेगा। पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का ही माना जाता है, इसलिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि शुभ काम 30 तारीख की दोपहर में करें। दोपहर करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं, जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।
दर्श अमावस्या का दिन पितृ तर्पण, पुण्य कार्य और शांति की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 30 नवंबर की सुबह शुरू हो जाएगी। ऐसे में शुभ मुहूर्त में पूजा करना बेहद जरूरी है। दर्श अमावस्या के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
1 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे तक मार्गशीर्ष मास की अमावस्या रहेगी, 30 नवंबर की सुबह अमावस्या तिथि नहीं रहेगी, इसलिए इस तिथि से जुड़ा नदी स्नान और दान-पुण्य 1 तारीख को कर सकते हैं। इस तिथि पर गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय पवित्र नदियों और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
दर्श अमावस्या विशेष: मार्गशीर्ष को भगवान श्रीकृष्ण ने अपना ही स्वरूप बताया है, इसलिए इस मास की अमावस्या पर बाल गोपाल का विशेष अभिषेक करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।