मार्गशीर्ष माह के यम-नियम

इन नियमों का पालन करेंगे तो फलदायी होगा मार्गशीर्ष का महीना, शरीर होगा रोग-रहित 


हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह साल का नौवां महीना होता है और इसका धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्व माना गया है। इस वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 16 नवंबर 2024 से हो रही है। इस महीने में लोग विशेष आचार-विचार, नियमों और धार्मिक क्रियाओं का पालन करते हैं। जो वैदिक काल से ही परंपरागत रूप से चली आ रही हैं। मार्गशीर्ष माह को इसलिए विशेष माना गया है क्योंकि यह वह समय होता है जब सभी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का पालन अत्यंत ही शुभ माना जाता है। प्राचीन काल में इसे नववर्ष का प्रारंभ भी माना जाता था। इस लेख में हम जानेंगे कि मार्गशीर्ष माह में कौन-से कार्य करने चाहिए और कौन-से कार्यों से बचना चाहिए।


मार्गशीर्ष माह की मान्यताएं


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में एक समय भोजन करना और ब्राह्मणों को भोजन कराने से व्यक्ति रोगों और पापों से मुक्त होता है। कहा जाता है कि इस माह में उपवास करने से अगले जन्म में भी व्यक्ति रोग-रहित, बलवान और सुख-समृद्धि वाला होता है। इसके अलावा इस माह में पुण्य कर्म करने वाले व्यक्ति को खेत, बाग-बगीचा और धन-धान्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस समय में की गई धार्मिक क्रियाएं और व्रत अत्यधिक पुण्य देने वाली मानी जाती हैं।


मार्गशीर्ष माह में क्या ना करें? 


  1. तामसिक और राजसिक आहार: इस माह में तामसिक आहार जैसे मांस, मदिरा और राजसिक आहार जैसे तेज मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए। चूंकि, इस दौरान सात्विक भोजन अपनाने से व्यक्ति का मन शुद्ध और शांत बना रहता है।
  2. क्रोध और अहंकार: मार्गशीर्ष माह में अपने क्रोध और अहंकार पर नियंत्रण रखना जरूरी है। मान्यताओं के अनुसार इस माह में शांति, समर्पण और विनम्रता को अपनाना चाहिए ताकि जीवन में सकारात्मकता बनी रहे।
  3. अनैतिक क्रिया: इस माह में अनैतिक कार्य जैसे असत्य बोलना, किसी को हानि पहुंचाना या धोखा देने जैसी गतिविधियों से भी दूर रहना चाहिए। क्योंकि, ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन से खुशियां खत्म हो सकती हैं।  
  4. बड़ों का सम्मान: मार्गशीर्ष माह में गुरुजनों, वृद्धों और बड़ों का अनादर करने से भी बचना चाहिए। इस माह में विनम्रता का पालन करना भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है।
  5. अशुद्धियों से रहें दूर: इस माह में शुद्धि पर विशेष ध्यान दें जिससे व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम बना रहे। नियमित स्नान, पूजा और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है। 
  6. ठंडी चीजों से करें परहेज: मार्गशीर्ष माह में सर्दियों का मौसम होने के कारण ठंडी चीजों जैसे दही और ठंडी तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। 


मार्गशीर्ष माह में क्या करना चाहिए? 


  1. तुलसी पूजा: इस माह में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। दरअसल, तुलसी के पौधे को पूजा के दौरान सजाकर उसकी आराधना करने से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी को जल चढ़ाना और उसकी परिक्रमा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
  2. व्रत एवं पूजन: मार्गशीर्ष माह में विभिन्न व्रत और पूजाएं जैसे मासिक शिवरात्रि व्रत और सूर्यदेव की पूजा का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है। इस माह में किया गया दान, यज्ञ और पुण्य कर्म अत्यधिक फलदायी होता है।
  3. भजन और कीर्तन: मार्गशीर्ष माह में भागवत भजन, कीर्तन और श्रीकृष्ण की भक्ति करना अत्यधिक शुभ होता है। श्रीकृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति आती है।
  4. नदी में स्नान और दान: मार्गशीर्ष माह में नदी के घाट पर स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व है। इस माह में गंगा, यमुना जैसे पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
  5. ग्रहण करें सात्विक आहार: मार्गशीर्ष माह में सात्विक आहार जैसे फल, सब्जी, दूध और हल्के भोजन का सेवन करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। सात्विक भोजन से व्यक्ति में सकारात्मकता का भी संचार होता है।
  6. भगवान के नाम का करें जाप: इस माह में भगवान के नाम का जाप करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह जाप मानसिक शांति और जीवन की उन्नति के लिए बहुत लाभकारी माना गया है।


मार्गशीर्ष माह का फल और लाभ


मार्गशीर्ष माह में किए गए व्रत, तप एवं दान से अगले जन्म में व्यक्ति को रोग-रहित और धन-धान्य से संपन्न जीवन प्राप्त होता है। यह समय आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का होता है। ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह में किए गए अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन में कल्याणकारी परिणाम देते हैं और उनके समस्त दुखों का नाश हो जाता है।  

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काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम।

दादी को नाम अनमोल, बोलो जय दादी की (Dadi Ko Naam Anmol Bolo Jay Dadi Ki )

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बोलो जय दादी की,

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