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शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों

शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों

MahaShivratri 2025: शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर क्यों किया जाता है जलाभिषेक, जानें कारण 



महाशिवरात्रि भगवान शिव का पवित्र त्योहार है। इस बार शिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इस कारण से शिवरात्रि के दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और पूजा करते हैं। हिंदू धर्म में जलाभिषेक अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। 

आपको बता दें कि जलाभिषेक की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा के पीेछे कई लोग धार्मिक कारण बताते है, तो वहीं कई लोग आध्यात्मिक कारण भी बताते हैं । लेकिन सच्चाई क्या है। चलिए आपको विस्तार से आर्टिकल के जरिए बताते हैं और इस प्रथा का महत्व क्या है।


धार्मिक कारण 


1. समुद्र मंथन की कथा 


पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तो इससे संपूर्ण सृष्टि के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो गया। तब सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का समाधान करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने करुणा दिखाते हुए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। लेकिन विष के कारण उनके शरीर में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हो गई। इसी गर्मी को शांत करने के लिए उनका जलाभिषेक किया गया।तभी से जलाभिषेक की परंपरा चली आ रही है।

2. मन की शांति 


जलाभिषेक भक्तों की भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति के मन के सारे दोष, क्रोध, अहंकार और नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।इससे मानसिक शांति मिलती है और मन पवित्र हो जाता है।

वैज्ञानिक कारण 


1.ऊर्जा का संतुलन 

शिवलिंग को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जलाभिषेक करने से शिवलिंग की ऊर्जा संतुलित होती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण में शांति आती है। जल की शीतलता एक ठंडक प्रदान करती है।

2.स्वास्थ्य लाभ

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने से मनुष्य के चित्त में शांति और धैर्य बना रहता है, जिससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है। जलाभिषेक के दौरान मंत्रोच्चार करने से शरीर में कंपन उत्पन्न होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

कैसे करें जलाभिषेक?


  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. तांबे के लोटे के पानी ले, बेलपत्र ले और फूल लें।
  3. मंदिर जाएं और शिवलिंग पर मंत्रों का जाप करते हुए पानी अर्पित करें।
  4. फिर बेलपत्र, धतूरा और फूल भी शिवलिंग पर अर्पित करें।
  5. शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल और पंचामृत से भी अभिषेक किया जा सकता है।

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तेरी जय हो गणेश(Teri Jai Ho Ganesh)

प्रथमे गौरा जी को वंदना,
द्वितीये आदि गणेश,

तेरी जय हो गणेश जी(Teri Jai Ho Ganesh Ji)

आन पधारो गणपत जी पूरण करदो सब काज,
विच सभा के बैठया मोरी पत रखदो महाराज,

तेरी जय हों जय हों, जय गोरी लाल(Teri Jay Ho Jay Ho Jay Gauri Lal)

तेरी जय हो जय हो,
जय गोरी लाल ॥

तेरी करती रहूँ मैं चाकरी, वरदान यही मैं चाहूँ(Teri Karti Rahu Main Chakri Vardan Yahi Main Chahu)

तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,

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