12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व जानिए

Jyotirlinga Mahatva: महाशिवरात्रि पर जानें सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व,पढ़िए दिलचस्प तथ्य



शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया। उन्होंने विष्णु और ब्रह्मा जी से कहा कि जो भी इस ज्योतिर्लिंग के अंत को खोज लेगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा। विष्णु जी वराह यानी कि सूअर का रूप धारण करके नीचे की ओर गए, जबकि ब्रह्मा जी हंस रूप धारण करके ऊपर की ओर उड़ चले। कई वर्षों तक यात्रा करने के बाद भी, दोनों में से कोई भी ज्योतिर्लिंग के अंत को नहीं खोज पाया। विष्णु जी ने अपनी हार स्वीकार कर ली, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग के अंत को देख लिया है।

ब्रह्मा जी के इस झूठ से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि उनकी कभी पूजा नहीं की जाएगी। वहीं, भगवान विष्णु की सच्चाई और विनम्रता से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनकी हमेशा पूजा की जाएगी। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का अनंत, असीम और अविनाशी स्वरूप है, जो ब्रह्मांड की अखंड शक्ति और आध्यात्मिक सत्य का प्रतीक है। मान्यता है कि ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर 12 ज्योतिर्लिंग और उनके महत्व के बारे में जानते हैं। 


12 ज्योतिर्लिंग के महत्व के बारे में यहां पढ़ें



1. सोमनाथ - गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला और प्रमुख माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण, स्कंद पुराण और अन्य पवित्र ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि स्वयं चंद्रदेव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके सभी पापों का नाश होता है।

2. मल्लिकार्जुन- आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है।


मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को "दक्षिण का कैलाश" भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां भगवान शिव और माता पार्वती दोनों संयुक्त रूप से विराजमान हैं। अमावस्या को भगवान शिव और पूर्णिमा को माता पार्वती यहां स्वयं आते हैं। सावन के महीने में यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

3. महाकालेश्वर- मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो इसे हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक बनाता है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जिसका तांत्रिक परंपरा में विशेष महत्व है। महाकाल का अर्थ है "समय का भगवान"। मान्यता है कि भगवान शिव यहाँ महाकाल के रूप में विराजमान हैं और समय के चक्र को नियंत्रित करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसलिए, यह स्थान शैव और शाक्त दोनों परंपराओं के लिए महत्वपूर्ण है।

4. ओंकारेश्वर- मध्य प्रदेश के खंडवा में स्थित है।


ओंकारेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और इसे हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग एक द्वीप पर स्थित है जिसका आकार पवित्र हिंदू प्रतीक "ओम" जैसा है। यह इसे एक विशेष आध्यात्मिक महत्व देता है। ऐसा माना जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा सकते हैं।

5. केदारनाथ- उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है।


केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तराखंड में हिमालय पर्वतमाला में स्थित है और हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पर पूजा करने से भक्त जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा सकते हैं। यह माना जाता है कि इस पवित्र स्थल पर भगवान शिव की उपस्थिति मोक्ष की यात्रा को सुगम बनाती है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

6. भीमाशंकर- महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है।


भीमाशंकर मंदिर भगवान शिव के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह महाराष्ट्र में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है। ह ज्योतिर्लिंग भीमा नदी का उद्गम स्थल है, जिसे हिंदू धर्म में एक पवित्र नदी माना जाता है। भीमा नदी में स्नान करना और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

7. काशी-विश्वनाथ- उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है।


काशी विश्वनाथ मंदिर को मोक्ष का द्वार माना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने और गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई भक्त अपने अंतिम समय में काशी में बसना चाहते हैं, ताकि वे भगवान शिव के आशीर्वाद से मोक्ष प्राप्त कर सकें। काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया का एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं।  काशी को भगवान शिव की प्रिय नगरी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शादी के बाद भगवान शिव देवी पार्वती का गौना कराकर पहली बार यहीं आए थे।

8. त्र्यंबकेश्वर- महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है।


त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।  यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के त्रिमूर्ति स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता एक साथ विराजमान हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष, नारायण नागबलि और त्रिपिंडी श्राद्ध जैसी विशेष पूजाएं की जाती हैं। इन पूजाओं को करने से भक्तों को पितृ दोष और अन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।

9. वैद्यनाथ- झारखंड के देवघर में स्थित है।


वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, जिसे बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है।  पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी और उन्हें लंका ले जाने के लिए एक शिवलिंग प्राप्त किया था। लेकिन, कुछ परिस्थितियों के कारण रावण शिवलिंग को लंका नहीं ले जा सका और उसने इसे देवघर में स्थापित कर दिया। माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है और भक्तों को आरोग्य प्राप्त होता है।

10. नागेश्वर- गुजरात के द्वारका में स्थित है।


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह गुजरात राज्य में द्वारका के पास स्थित है।  नागेश्वर का अर्थ है नागों के देवता। इसलिए, यह ज्योतिर्लिंग नागों के देवता भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

11. रामेश्वरम- तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है।


रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग भारत के दक्षिणी छोर पर तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यहां भगवान शिव की पूजा की थी।

12. घृष्णेश्वर- महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है।


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग है। घृष्णेश्वर मंदिर का नाम घृष्णा नामक एक भक्त के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि घृष्णा ने भगवान शिव की भक्ति और तपस्या से उन्हें प्रसन्न किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी। ऐसा भी माना जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग संतान प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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