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हिंदू धर्म में, पूर्णिमा का विशेष महत्त्व होता है। प्रत्येक महीने में एक बार पूर्णिमा का व्रत आता है। यह माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान, लक्ष्मी माता और चंद्र देव की पूजा अति शुभ मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर पूरी श्रद्धा भाव के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में माघ पूर्णिमा व्रत की पूजा की विधि के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
माघ महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 फरवरी को शाम 06:55 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 12 फरवरी को शाम 07:22 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इसलिए, उदयातिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा का व्रत 12 फरवरी को रखा जाएगा। बता दें कि, हिंदू धर्म में इस व्रत का काफी महत्त्व माना गया है।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल काफी अधिक होता है। जिस वजह से समुद्र में ऊंचे ज्वार उठते हैं। इतना ही नहीं पूर्णिमा का दिन आयुर्वेद में भी खास माना गया है। इस समय को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन के लिए भी उत्तम माना जाता है।
माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में गंगा और दान करने खास महत्व है। मान्यता है कि इस अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इसी कारण माघ पूर्णिमा के दिन गंगा के पवित्र जल में स्नान करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसलिए माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया जाता है। इसके साथ ही माघ पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का भी विधान है।
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