माघ पूर्णिमा में चन्द्रमा पूजन

Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा पर इस विधि से करें चन्द्रमा का पूजन, घर में बनी रहेगी सुख-शांति


हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का काफी महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर लोग व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन सत्यनारायण पूजा का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस तिथि पर गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से जीवन में सुख-शांति का वास रहता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है। तो आइए, इस आर्टिकल में इस खास दिन पर चंद्रमा पूजन की विधि को विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त


माघ पूर्णिमा की तिथि 23 फरवरी दिन शुक्रवार को दोपहर 03:33 बजे शुरू होगी और माघ पूर्णिमा तिथि का समापन 24 फरवरी दिन शनिवार को शाम 05:59 बजे होगा।माघ पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 05:17 बजे हैं।


माघ पूर्णिमा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग


माघ पूर्णिमा के दिन शोभन योग बन रहा है। इसके अधिपति देव शुक्र हैं और शुक्रवार के दिन शुक्र का शोभन योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। शुक्र को भौतिक सुख, सुविधाओं, ग्लैमर, रोमांस का कारक माना जाता है।माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा कर्क राशि में होगा। कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं। पूर्णिमा की रात चंद्रमा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। माघ पूर्णिमा के दिन अश्लेषा नक्षत्र भी है और उसके स्वामी बुध ग्रह हैं। बुध के शुभ प्रभाव से लोगों को करियर, बिजनेस आदि में उन्नति की प्राप्ति होगी और माघ पूर्णिमा पर रवि योग सुबह 06:53 बजे से शाम 07:25 बजे तक है। रवि योग में सूर्य की प्रधानता होती है और अशुभ प्रभाव व दोष खत्म होते हैं।


जानिए माघ पूर्णिमा का महत्व


ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही माघ पूर्णिमा पर रात में चंद्रोदय के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए, इस दिन स्नान-दान का विशेष माना जाता है। जो लोग माघ माह में संगम नदी के किनारे रहकर व्रत और संयम के साथ स्नान ध्यान करते हैं उनके लिए माघ पूर्णिमा बहुत ही खास मानी जाती है। क्योंकि, इस दिन वे लोग अपने कल्पवास की परंपरा को पूरा करते हैं एवं अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करते हैं।


माघ पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा


  • माघ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर शाम के समय में चंद्रमा की पूजा करें और उसके बाद अर्घ्य दें।
  • जल में अक्षत्, सफेद फूल, सफेद चंदन आदि डालकर चंद्रमा को अर्पित करें।
  • चंद्र अर्घ्य मंत्र गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥ जरूर पढ़ें।
  • रात के समय आप चंद्रमा के बीज मंत्र ॐ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • चंद्रमा के शुभ प्रभाव से आपके सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होगी। मन की स्थिरता के लिए चंद्रमा का सही रहना जरूरी है।


इन मंत्रों के जाप से दोहरे फल की होगी प्राप्ति 


  • ऊं ऐं क्‍लीं श्रीं।
  • श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।
  • गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।
  • शशि, मय, रजनीपति, स्वामी। चन्द्र, कलानिधि नमो नमामी।
  • राकापति, हिमांशु, राकेशा। प्रणवत जन नित हरहु कलेशा।
  • सोम, इन्दुश्, विधु, शान्ति सुधाकर। शीत रश्मि, औषधी, निशाकर।
  • तुमहीं शोभित भाल महेशा। शरण-शरण जन हरहु कलेशा

........................................................................................................
विनायक चतुर्थी पूजा विधि

मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत विधि- विधान से करने पर भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि और विद्या का वरदान देते हैं। विनायक चतुर्थी का व्रत 5 दिसंबर को किया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश के 12 नामों का जाप करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

सोमवती अमावस्या ना करें ये गलतियां

साल 2024 की आखिरी अमावस्या काफ़ी महत्पूर्ण है। यह दिन भगवान शिव और पितरों को समर्पित होता है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने हेतु तर्पण किया जाता है।

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली (Hey Bholenath Teri Mahima Nirali)

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली,
जाने वो जिस ने तेरी लगन लगाली,

शारदीय नवरात्रि के लिए घट स्थापना कौन से दिन करें, यहां जानें अपने सभी सवालों के जवाब

शारदीय नवरात्रि का आरंभ होने जा रहा है। नौ दिन तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन घटस्थापना करने का विधान है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।