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सनातन धर्म में माघ महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह महीना धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। धार्मिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन होती है। इस वर्ष माघ माह 14 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी को समाप्त होगा।
माघ महीने में कई पावन पर्व मनाए जाते हैं। इन पर्वों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं।
प्रदोष व्रत करने से कई लाभ होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मन में शांति मिलती है, भय दूर होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माघ महीने में प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस महीने में किए गए पूजा-पाठ और व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए, हिंदू धर्म में माघ महीने को पुण्य का महीना माना जाता है। अब ऐसे में माघ में कब-कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
26 जनवरी 2025 - पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, जिसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। 26 जनवरी की रात 8:54 बजे शुरू होगी और 27 जनवरी की रात 8:34 बजे समाप्त होगी। चूंकि प्रदोष व्रत उदया तिथि पर मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष यह व्रत 27 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन शाम 5:56 बजे से लेकर 8:34 बजे तक भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जा सकती है। यह समय पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है।
9 फरवरी 2025 - पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी को रात 7 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 10 फरवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इस आधार पर, माघ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 9 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का सबसे शुभ समय रात 7 बजकर 25 मिनट से 8 बजकर 42 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वयं को शुद्ध करें। फिर भगवान शिव की पूजा के लिए एक पवित्र स्थान तैयार करें। पूजा स्थल को गंगाजल से अच्छे से धोकर पवित्र करें। इसके बाद, एक सुंदर मंडप सजाएं और रंग-बिरंगे रंगों से एक मनमोहक रंगोली बनाएं। कुश के आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव का ध्यान करें। आप मिट्टी से भगवान शिव का एक छोटा सा स्वरूप बनाएं और उसे जल से अभिषेक करें। इस दिन आपको केवल फल और सब्जियां ही खानी चाहिए। अगर आप मंदिर जा सकें तो वहां भी शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बेलपत्र चढ़ाएं। शाम को फिर से स्नान करके भगवान शिव की पूजा करें। प्रदोष व्रत की कथा सुनने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
प्रदोष व्रत के दौरान पूरे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से मन शांत होता है, घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं। शिव भक्तों को प्रदोष व्रत बहुत पसंद है क्योंकि इससे उन्हें धार्मिक लाभ मिलते हैं।
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