हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार देवी माँ के विभिन्न रूपों की पूजा करने हेतु मनाया जाता है। यहां, नवरात्रि शब्द में 'नव' का अर्थ नौ और 'रात्रि' का अर्थ है रातें। इन नौ रातों में देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हालांकि, 4 नवरात्रियों में से एक माघी नवरात्रि गृहस्थ लोगों के लिए नहीं होती है। माघ गुप्त नवरात्रि में गुप्त कवच का पाठ सिद्धियां प्राप्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में गुप्त कवच पाठ और इसके महत्व को जानते हैं।
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्।
पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥
उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी।
चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ॥
जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा।
अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ॥
हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी।
कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥
महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी
एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके।
रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते ॥
माघ गुप्त नवरात्रि के दिन गुप्त कवच का पाठ करने से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है और शुभ परिणाम मिल सकते हैं। इसके अलावा, गुप्त कवच बेहद ही शक्तिशाली एवं रहस्यमय मंत्र साधना माना जाता है। जो पूर्ण रूप से मां दुर्गा को समर्पित है। इसके पाठ करने से साधक को अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होता है। साथ ही यह कवच एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है जो व्यक्ति को बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जाओं और दुर्भाग्य से बचाता है। गुप्त कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का धार्मिक ज्ञान भी बढ़ता है। इससे आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। गुप्त कवच का पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और बीमारियों से भी बचा रहता है। गुप्त कवच का पाठ करने से सफलता प्राप्ति हो सकती है।
पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि पर्व आषाढ़ और माघ माह में मनाया जाता है। बता दें कि 30 जनवरी 2025 से माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। इसे तंत्र साधना और गुप्त विद्याओं में रुचि रखने वालों के लिए और भी खास माना गया है। द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 29 जनवरी 2025 को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर हो रही है और अगले दिन 30 जनवरी 2025 को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 30 जनवरी 2025 को माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी और 7 फरवरी 2025 को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा।
जनवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत सोमवार, 27 जनवरी को मनाया जाएगा। माघ मास में आने वाला यह पावन पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस बार का प्रदोष व्रत अनेक शुभ योगों से युक्त होने के कारण भक्तों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने वाला सिद्ध होगा।
इस बार माघ महीने का पहला प्रदोष व्रत, 27 जनवरी, सोमवार के दिन पड़ रहा है। चूंकि यह सोमवार के दिन है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
माघ का महीना हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है, और इस महीने में आने वाला प्रदोष व्रत और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो माघ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन पिंडदान, तर्पण, अन्न और धन का दान, पवित्र नदी में स्नान और मौन व्रत किया जाता है।