माघ गुप्त नवरात्रि में क्या दान करें

Magh Gupt Navratri 2025 Daan: माघ गुप्त नवरात्रि में इन चीजों का दान करेंगे, तो मिलेगा सौभाग्य का वरदान


सनातन हिंदू धर्म के वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्तमान में माघ का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यह नवरात्रि अन्य नवरात्रि से भिन्न होती है, क्योंकि इसमें दस महाविद्याओं की विशेष पूजा का विधान होता है।
इन महाविद्याओं में मां काली, मां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस नवरात्रि में किन चीजों का दान करना शुभ माना गया है और इसका सही समय क्या है।

जानिए माघ गुप्त नवरात्रि 2025 की तिथि और मुहूर्त 


गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। वर्ष 2025 में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9:25 से 10:46 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से 12:56 बजे तक रहेगा। इन शुभ मुहूर्तों में घटस्थापना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि में इन चीजों का करें दान


  • अन्न का करें दान:- मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने और घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए अनाज, जैसे गेहूं, चावल, जौ आदि का दान करना शुभ होता है। इसे किसी ब्राह्मण, गरीब व्यक्ति, या जरूरतमंद को देना चाहिए। अनाज का दान घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि करता है।
  • लाल चंदन का दें दान:- देवी की पूजा सामग्री में लाल चंदन और कुमकुम का विशेष स्थान है। इन्हें दान करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति आती है, साथ ही देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • तिल और गुड़ का दें दान:- माघ माह में तिल और गुड़ का विशेष महत्व है। काले तिल, तिल के लड्डू, या तिल-गुड़ से बनी मिठाई का दान करना शुभ फलदायी माना जाता है। यह दान जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा की बढ़ोतरी भी करता है।
  • वस्त्रों को करें दान:- लाल, पीले, या सफेद वस्त्र देवी को अत्यंत प्रिय हैं। इनका दान करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, छोटे सोने या चांदी के आभूषण दान करने से सौभाग्य और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।

दान करते समय इस मंत्र का करें जप  


दान करते समय "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" मंत्र का जप करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस मंत्र का उच्चारण करने से दान का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इससे व्यक्ति को विशेष फल व माता दुर्गा की कृपा भी बरसती है। 

........................................................................................................
होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

दिन जिंदगी के चार, चाहे कम देना (Din Jindagi ke Char Chahe kam dena)

दिन जिंदगी के चार,
चाहे कम देना,

छोटी सी कुटिया है मेरी, बालाजी तुम आ जाना (Choti Si Kutiya Hai Meri Balaji Tum Aa Jana)

छोटी सी कुटिया है मेरी,
बालाजी तुम आ जाना,

कार्तिगाई दीपम क्यों मनाते हैं

कार्तिगाई दीपम पर्व प्रमुख रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।