ललिता देवी मूल मंत्र और स्तोत्र

ललिता देवी मूल मंत्र और स्तोत्र, यह एक मंत्र देगा सभी कष्टों से मुक्ति


ललिता जयंती का पर्व  हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अगर व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ मां की पूजा करे तो मां उसे शक्ति प्रदान करती हैं। इस दिन व्रत कथा के साथ-साथ अगर मां की आरती और उनके पवित्र मन का जाप किया जाए तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी हो जाती है। कहा जाता है कि माता ललिता का ध्यान धरकर उनकी प्रार्थना एवं निम्न मंत्र का जाप कर व्यक्ति को उसके सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। ललिता माता का मंत्र समस्त सुखों को प्रदान करने वाला मंत्र है। पंचमी के दिन इस ध्यान मंत्र से मां को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र आदि भेंट कर इस  मंत्र का अधिकाधिक जाप करने से जीवन की आर्थिक समस्याएं दूर होकर धन की प्राप्ति  के सुगम मार्ग मिलता है। तो आइए पढ़ते हैं माता ललिता के मूल मंत्र और स्तोत्र...


ललिता माता का पवित्र मंत्र 


 ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं  ह्रीं श्रीं नम:।' 


ललिता पंचक स्तोत्र 


प्रातः स्मरणि ललिता-वदनार-विन्दं
बिम्बाधरं पृथुल-मौक्तिक-शोभिनासम्।
आकर्ण-दीर्घ-नयनं मणि-कुण्डलाध्यं
मंदस्मितं मृग-मदोज्ज्वल-फलदेशम् ॥1॥
प्रातर्भ-जामि ललिता-भुज-कल्पवल्लीं
रक्ताङ्गुलीय-लसदङ्गुलि-पल्लवाढ्याम्।
माणिक्य-हेमवलयाङ्गद-शोभमानां
पुण्ड्रेक्षु-चाप-कुसुमेषु-सृणीर्दधा-नाम् ॥2॥
प्रातर्नमामि ललिता-चरणार-विन्दं
भक्तेष्टदान-निरतं भवसिंधु-पोतम्।
पद्मासनादि-सूरनायक-पूजनीयं
पद्माङकुश-ध्वज-सुदर्शन-लाञ्चनाध्यम् ॥3॥
प्रातः स्तुवे परशिवां ललितां भवानीं
त्रय्यङ्गवेद्य-विभवां करुणा-नवद्याम्।
विश्वस्य सृष्टि-विलय-स्थिति-हेतुभूतां
विद्येश्वरीं निगम-वाङ्मनसाति-दूराम् ॥4॥
प्रतिवादामि ललिते तव पुण्य-नाम
कामेश्वरीति कमलेति महेश्वरीति।
श्रीशाम्भवीति जगतां जननी परेति
वाग्देवतेति वचसा त्रिपुरेश्वरीति ॥5॥
यः श्लोक-पञ्चक-मिदं ललिताम्बिकायाः
सौभाग्यदं सुललितं पठति प्रभाते।
तस्मै ददाति ललिता झटिति प्रसन्ना
विद्यां श्रियं विमल-सौख्य-मनन्त-कीर्तिम् ॥6॥


ललिता पंचक स्तोत्र पाठ करने की विधि


  • माँ ललिता पंचक स्तोत्र के पाठ करने का सबसे उत्तम समय प्रातः काल का होता है। 
  • प्रातः काल शौच-स्नानादि से निवृत हो स्वक्ष वस्त्र धारण करें।
  • इस स्तोत्र के पाठ के लिए शांत जगह का चुनाव कर, किसी साफ आसन पर बैठ जाएं।
  • अब अपने सामने माँ ललिता का चित्र अथवा यन्त्र को रखें। तथा उनके सामने धुप दीप जलाएं।
  • तदुपरांत माँ ललिता के किसी भी आह्वान मंत्र का अपनी समथ अनुसार जाप करें।
  • इसके पश्चात आप माँ ललिता पंचक स्तोत्र का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ उच्च स्वर में पाठ शुरू करें।
  • अंत में माँ ललिता देवी को प्रणाम कर उमसे आशीर्वाद प्राप्त करें।


ललिता पंचक स्तोत्र पाठ के लाभ


ललिता पंचक स्तोत्र के अंतिम श्लोक में इस स्तोत्र के पाठ से  कई लाभ मिलते हैं। ललिता पंचकम का पाठ माँ ललिता देवी की कृपा और आशीर्वाद को पाने का सबसे सुगम माध्यम है। बता दें कि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से किया गया ललिता पंचकम का पाठ साधक के जीवन में ऐश्वर्य और संमृद्धि को लाता है।


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कब दर्शन देंगे राम परम हितकारी (Kab Darshan Denge Ram Param Hitkari)

भीलनी परम तपश्विनी,
शबरी जाको नाम ।

यशोदा जयंती व्रत यम-नियम

सनातन हिंदू धर्म में, यशोदा जयंती का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत के साथ माता यशोदा और भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विधान है। इस पर्व पर शुद्ध भाव से पूजा-पाठ, व्रत और सेवा करने से माता यशोदा और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

नर्मदा में स्नान के अद्भुत लाभ

भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, यह दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का होता है।

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