मां दुर्गा के चमत्कारिक मंदिर

मासिक दुर्गाष्टमी में  अवश्य करें मां दुर्गा के इन अद्भुत मंदिरों का दर्शन, मिलेगा अभय होने का वरदान  



भारत को आध्यात्म और साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। वर्तमान में चल रहे महाकुंभ ने फिर से पूरे विश्व में यह बात पहुचाई है। नवरात्रि के अलावा यहां प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भी दुर्गाष्टमी मनाई जाती है।  इस दौरान व्रत और पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में मंगल होता है। इस दिन माता दुर्गा के मंदिरों में दर्शन से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में भारत में स्थित माता दुर्गा के कुछ चुनिंदा मंदिरों के बारे में में जानते हैं। 

कामाख्या मंदिर, असम 


असम की राजधानी के निलाचल पहाड़ी पर कामाख्या मंदिर मौजूद है। देवी के 51 शक्तिपीठों में शामिल यह मंदिर शक्ति-साधना का केंद्र माना जाता है। यह तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके पहले हिस्से में हर किसी को जाने की इजाजत नहीं है। जबकि, दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं। यहां पर एक पत्थर से हमेशा पानी निकलता रहता है। जबकि, इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा बहती है। यह क्यों और कैसे होता है। इसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं। हर साल मानसून के दौरान इस मंदिर को 3 दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है। ऐसा देवी के मासिक धर्म के दौरान किया जाता है और बताया जाता है कि गर्भगृह से बहने वाला झरना उन 3 दिनों में लाल हो जाता है। 

ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश 


हिमाचल प्रदेश की कालीधार पहाड़ी के बीच माता ज्वाला देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी। माता सती के जीभ के प्रतीक के तौर पर ज्वाला मुखी मंदिर में धरती से ज्वाला निकलती है। यह ज्वाला महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी की रूप है।  मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित ज्वाला को मुगल शासनकाल में अकबर ने भी बुझाने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इसके बाद उसने देवी मां को स्वयं पचास किलो का छत्र चढ़ाया, लेकिन माता ने उस छत्र को स्वीकार नहीं किया और वह गिर गया। वह छत्र आज भी मंदिर परिसर में रखा है। 

मनसा देवी मंदिर, उत्तराखंड


मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित है। यह मां मनसा को समर्पित हैं, जो भगवान शिव की मानस पुत्री हैं। इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इसलिए इनका नाम मनसा पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर सच्चे मन से मांगी गई हर इच्छा पूर्ण होती है। नवरात्र और मासिक दुर्गाष्टमी के दौरान हरिद्वार के इस दिव्य मंदिर में भारी भीड़ उमड़ती है। बता दें, भारत में और भी कई मां मनसा के मंदिर हैं, लेकिन यह सभी में से प्रमुख माना जाता है।

हिडिम्बा मंदिर, हिमाचल प्रदेश 


हिमाचल प्रदेश के मनाली में हिमालय की तलहटी में स्थित हिडिम्बा मंदिर का नाम देवी हिडिम्बा के नाम पर पड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिडिम्बा अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। राक्षस के रूप में जन्मी हिडिम्बा ने उस व्यक्ति से शादी करने की कसम खाई थी, जो उनके बहादुर भाई पर विजय प्राप्त कर लेगा। उनके इस प्रण पर भीम खरे उतरे और फिर उन्होंने उनसे विवाह कर लिया था।
मान्यता है कि इस धाम में दर्शन मात्र से व्यक्ति को दिव्य शक्तियों की अनुभूति होती है। 

चामुंडेश्वरी मंदिर, कर्नाटक 


चामुंडा देवी को देवी दुर्गा का सबसे उग्र स्वरूप माना जाता है। उन्हें यह नाम चंड और मुंड का वध करने के पश्चात प्राप्त हुआ था। यह धाम मैसूर से लगभग 13 किमी दूर चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित, जो सदियों से मैसूर के राजाओं द्वारा पूजा जाता था। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
ऐसी माना है कि इस स्थान पर देवी सती के बाल गिरे थे। ऐसे में जो साधक नवरात्र के दौरान यहां दर्शन करने के लिए आते हैं उनके सभी दुखों का अंत होता है।

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धनतेरस की पौराणिक कथा

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शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

कैसे करें भगवान दत्तात्रेय की पूजा?

भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।

हम हो गए शंकर बाबा के (Hum Hogaye Shankar Baba Ke)

हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,

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