मां अन्नपूर्णा को खुश करने के उपाय

Annapurna Jayanti 2024: मां अन्नपूर्णा को खुश करने हेतु ऐसे करें पूजा, सालभर होगी धनवर्षा


धार्मिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां पार्वती माता अन्नपूर्णा के रूप पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन को मां अन्नपूर्णा की आराधना के लिए खास माना जाता है। मां अन्नपूर्णा को धन-धान्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि यदि मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं, तो उनके आशीर्वाद से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती। तो आइए इस आलेख में विस्तार से जानते हैं अन्नपूर्णा जयंती पर मां को प्रसन्न करने का सही उपाय।


जानिए देवी अन्नपूर्णा की महिमा


मां अन्नपूर्णा को अन्न, धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनका आशीर्वाद हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और प्रगति लाता है। मां अन्नपूर्णा का व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। मान्यता है कि यदि मां का आशीर्वाद है तो रसोई में कभी अन्न और भोजन सामग्री की कमी नहीं होती।


अन्नपूर्ण जयंती के दिन करें ये विशेष उपाय


इस दिन चूल्हे की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसलिए, इस दिन चूल्हे की विधि- विधान से पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी और भविष्य में शुभ परिणाम भी मिलेंगे।


मां अन्नपूर्णा की पूजा विधि


1. पूजन सामग्री तैयार करें 


  • एक कलश
  • सप्त धान ( जिसमें सात प्रकार के अनाज: बाजरा, ज्वार, गेहूं, तिल, मूंग दाल, चावल, उड़द दाल शामिल हो)
  • एक सिक्का
  • लाल चंदन
  • सुपारी
  • जनेऊ
  • हल्दी की गांठ
  • अब इन सभी सामग्रियों को एक कटोरी में रखें।


2. कलश की करें स्थापना 


  • घर के मंदिर में एक साफ स्थान पर कलश स्थापित करें।
  • कलश में सात प्रकार के अनाज, सिक्का, चंदन, सुपारी, जनेऊ और हल्दी रखें।
  • यदि संभव हो तो अखंड ज्योति जलाएं। यदि ऐसा ना कर सकें तो पूजा के समय दीपक जला लें।


3. अब करें मां अन्नपूर्णा की पूजा 


  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और बिना कुछ खाए-पीए पूजा की तैयारी करें।
  • पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • मां अन्नपूर्णा के चित्र या मूर्ति के सामने कलश रखें।
  • तिलक करें और फूल अर्पित करें।
  • धूप, दीप, और प्रसाद अर्पित करें।
  • अब अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें।


अन्नपूर्णा स्तोत्र का करें पाठ


  • मां अन्नपूर्णा का स्तोत्र पाठ करना उनकी कृपा प्राप्त करने का मुख्य उपाय है।
  • पूजा के दौरान अन्नपूर्णा स्तोत्र का 11 बार पाठ करें।
  • यदि समय ना हो तो कम से कम 7 बार इसका पाठ जरूर करें।
  • स्तोत्र पाठ के बाद मां अन्नपूर्णा से परिवार की समृद्धि और सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।


माता अन्नपूर्णा की पूजा से लाभ


  • इससे धन-धान्य की कमी नहीं होती।
  • आपके रसोई में हमेशा समृद्धि बरकरार रहती है।
  • जीवन में आने वाली सारी बाधाएं समाप्त होती हैं।
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।


रसोई में वर्ष भर बनी रहेगी समृद्धि 


बता दें कि मां अन्नपूर्णा की आराधना करने से जीवन में धन, अन्न और सुख-शांति बनी रहती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन उनकी पूजा विधि और स्तोत्र पाठ करना हर प्रकार की समस्या का निवारण करता है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन जरूरतमंदों को अन्न का दान जरूर करना चाहिए। इस दिन अन्न का दान शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति के जीवन में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। वहीं, यदि आप अपनी रसोई में समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होने देना चाहते हैं तो इस दिन माता अन्नपूर्णा की सच्चे मन से पूजा करें और उनका आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें।


........................................................................................................
श्री राधाजी की आरती (Shri Radhaji Ki Aarti)

आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।

ओम जय गौरी नंदा (Om Jai Gauri Nanda)

ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,

दिसंबर माह के प्रदोष व्रत

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प‌द्मा एकादशी (Aashaadh Shukla Paksh Ki Padma Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन् ! आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है और उस दिन किस देवता की पूजा किस विधि से करनी चाहिए? कृपया यह बतलाइये।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।