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हिन्दू धर्म में लक्ष्मी पंचमी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्यवसायी और व्यापारियों को अपने दुकान पर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही, इस दिन को नए व्यापारिक कार्यों की शुरुआत करने के लिए भी शुभ माना जाता हैं। लक्ष्मी पंचमी को देवी लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करना सभी के लिए अत्यन्त लाभकारी माना गया है, जिससे धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पंचमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो चैत्र नवरात्रि के दौरान होता है। इस वर्ष लक्ष्मी पंचमी 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। लक्ष्मी पंचमी की तिथि 2 अप्रैल सुबह 2:32 से शुरू होगी और 2 अप्रैल रात 11:49 पर समाप्त होगी।
माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है और लक्ष्मी पंचमी को माता लक्ष्मी की पूजा के लिए धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भक्त अपने घरों और दुकानों की साफ- सफाई करते हैं, जिससे मां लक्ष्मी का घर और दुकान में वास बना रहता है। यह दिन विशेष रूप से आर्थिक उन्नति, स्थिरता और आर्थिक मजबूती की प्रार्थना के लिए शुभ माना जाता है।
बिहार के एक गांव में लक्ष्मी पंचमी से जुड़ी एक अनोखी कहानी प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि वर्षों पहले इस गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहा करता था, जिनकी आर्थिक स्थिति दयनीय थी। इस समस्या से परेशान होकर एक बार ब्राह्मण की पत्नी ने लक्ष्मी पंचमी के दिन व्रत रखा और पूरे विधिवत रूप से मां लक्ष्मी की पूजा की। व्रत के दौरान जब वो रात को सोई तो रात्रि में उन्होंने एक सपना देखा, जिसमें मां लक्ष्मी ने उन्हें एक स्थान पर गड़ा हुआ धन प्राप्त करने का संकेत दिया।
सुबह उठकर वह भयभीत होगई और उन्होंने अपने पति को यह बात बताई फिर दोनों ने मिलकर माता लक्ष्मी के द्वारा स्वपन में बताए गए स्थान पर खुदाई की। खुदाई में उन्हें एक बड़ा घड़ा मिला, जिसमें सोने और चांदी के सिक्के भरे हुए थे। यह देखकर ब्राह्मण और उसकी पत्नी दोनों अत्यंत प्रसन्न हुए और मां लक्ष्मी का ध्यान करके उनको धन्यवाद दिया।
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